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India के सहारे सत्ता में वापसी के ख्वाब देख रहे इमरान खान! भारत की विदेश नीति की तारीफों के बांधे पुल

भारत के नाम पर राजनीति कर सत्ता में वापसी करने पर लगे हैं खान

इमरान खान ने भी सरकार की शुरुआत भारत के नाम से किया और जब सरकार गिरने लगी तो जमकर भारत की तारीफ करने लगे। अब शहबाज शरीफ भी यही कर रहे हैं। पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भी सत्ता में कदम रखते ही भारत का नाम लेना शुरू कर दिया और जम्मू-कश्मीर का राग अलापना शुरू कर दिया। अब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर से भारत का गुड़गान करना शुरू कर दिया है।

इमरान खान एक बार फिर से भारत की तारीफें करने में जुट गए हैं। उन्होंने लाहौर में आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए भारत की विदेश नीति की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह उसके लोगों की भलाई के लिए है। इरमान खान लगातार भारत की विदेश नीति और आर्मी की जमकर तारीफ कर रहे हैं। इमरान खान ने कहा कि भारत अमेरिका का रणनीतिक भागीदार है और वह रूस से तेल आयात करता है। भारत का कहना है कि उसके फैसले अपनी जनता की भलाई पर आधारित होते हैं, लेकिन पाकिस्तान की विदेश नीति दूसरों के कल्याण के लिए है। इससे पहले पिछले माह खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक रैली को संबोधित करते हुए भी पूर्व पाक पीएम ने भारत की जमकर तारीफ की थी। उन्होंने भारतीयों को खुद्दार कौम बताया था।

लाहौर की रैली में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख इमरान ने कहा कि वह हमेशा पड़ोसी देश की प्रशंसा करते हैं, क्योंकि उनकी हमेशा एक स्वतंत्र विदेश नीति रही है। आज भारत अमेरिकी गठबंधन में है। वह क्वाड में और वह कहता है कि वह तटस्थ है। वह पाबंदी के बावजूद रूस से तेल आयात कर रहा है, क्योंकि वह कहता है कि इसमें उसके लोगों की भलाई है। मॉस्को दौरे को लेकर उन्होंने कहा कि, वो वहां इसलिए गए थे, ताकि पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई को काबू में किया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने फिर कहा कि उन्हें स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने के कारण देश की सत्ता से हाथ धोना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय ताकतों ने इसे पसंद नहीं किया।

इमरान खान ने फिर आरोप लगाया कि विदेशी ताकतें चीन के साथ पाकिस्तान के व्यापार को बढ़ावा देना भी पसंद नहीं करती हैं। पाकिस्तान की मौजूदा सरकार की तीन कठपुतली हैं, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी और जेयूआई-एफ प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान। इन्होंने विदेशी साजिश का पूरा समर्थन किया।