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PM Modi की बिछाई जाल में बुरी तरह फंस गया China! इस देश ने कहा इंडिया हमारा डिफेंस बेस कभी भी कर सकता है इस्तेमाल

India और Vietnam का रिश्ता हुआ मजबूत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद से भारत की छवी दुनिया के सामने अलग बन गई है। आज भारत के साथ पूरी दुनिया जड़ना चाहती है। हर कोई यहां आकर काम करना चाहता। भारत हर एक छेत्र में तेजी से विकसित कर रहा है। अेमरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया संग अन्य बड़े देश भी भारत संग अपनी दोस्ती मजबूत करने पर लगे हुए हैं। इसके साथ ही भारत कई मामलों में अपना स्टैंड साफ रखता है। साथ ही चीन और पाकिस्तान जैसे दोशों को जो दूसरे की सिमाओँ में घुसैपठ करने की कोशिश करते हैं इन्हें मुंह तोड़ जवाब भी देना जानता है। अब इंडिया ने वियतनाम के साथ मिलकर जो काम किया है उसे लेकर ड्रेगन की सांसे जरूर ऊपर नीचे हो रही होंगी। भारत और वियतनाम ने एक समझौते को लेकर साइन किया जिसे लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि, चीन की बढ़ती ताकत के बीच समुद्री सुरक्षा क्षेत्र में भारत और वियतनाम ने सुरक्षा संबंधों का विस्तार करने के लिए साथ आए हैं।

भारत अब वियतनाम का डिफेंस बेस इस्तेमाल कर सकता है। साथ ही वियतनाम भी जरूरत पड़ने पर इंडिया का डिफेंस बेस यूज कर सकता है। दरअसल, भारत और वियतनाम ने 8 जून को 2030 तक रक्षा संबंधों के दायरे और पैमाने को और व्यापक आधार देने के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट पर साइन किया है। भारत और वियतनाम ने दोनों पक्षों की सेनाओं को आपूर्ति की मरम्मत और पुनःपूर्ति के लिए एक-दूसरे के ठिकानों का इस्तेमाल करने की इजाजत देने के लिए एक रसद सहायता समझौते पर साइन किया है।

ऐसा पहली बार हुआ है जब वियतनाम ने किसी देश के साथ रदस समर्थन को लेकर समजौते पर साइन किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वियतनाम के अपने समकक्ष जनरल फान वान गियांग ने इस रसद समझौते पर साइन किया है। रक्षा मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि, भारत और वियतनाम के बीच समकालीन समय में हितों और सामान्य चिंताओं के व्यापक अभिसरण के साथ सबसे भरोसेमंद संबंध जारी हैं। वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि, हमने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों और क्षेत्रीय और वैश्विक मसलों को आगे बढ़ाने के लिए प्रभावी और व्यावहारिक पहल पर व्यापक चर्चा की है। उन्होंने आगे कहा कि विचार-विमर्श के बाद हमने '2030 की ओर भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी पर जॉइंट विजन स्टेटमेंट' पर साइन किए जो हमारे रक्षा सहयोग के दायरे और पैमाने को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगा।