दक्षिण अफ्रिका में ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मीटिंग में China को भारत की दो टूक। ब्रिक्स देशों के NSA की इस मीटिंग में ड्रैगन को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने साफ शब्दों में कहा कि पहले लद्दाख में शांति बहाल हो फिर चीन से सामान्य रिश्ते होंगे।
जोहांसबर्ग में हुई इस मीटिंग से अलग भारत के एनएसए अजित डोभाल ने चीन के वांग यी से मुलाकात की है। दोनों की मुलाकात के दौरान सीमा विवाद पर भी खासी चर्चा हुई। साथ ही उन्होंने कहा कि पहले लद्दाख में शांति बहाल हो फिर चीन से सामान्य रिश्ते संभव हो पाएंगे।
जोहांसबर्ग में ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) सम्मेलन में भारत के जेम्स बॉन्ड के तौर पर मशहूर अजित डोवाल ने चीन के वांग यी से मुलाकात की। वांग, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी में सीनियर ऑफिशियल हैं। साथ ही साथ विदेश मामलों के लिए बने कमीशन के मुखिया भी हैं।
चीन के पूर्व विदेश मंत्री रहे वांग को जानकार राष्ट्रपति शी जिनपिंग का करीबी कहते हैं। वांग के साथ मुलाकात में डोभाल ने उन्हें स्पष्ट कर दिया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जो स्थिति है उसकी वजह से आपसी भरोसा कम हुआ है। वांग ने भी डोभाल से दोनों देशों के बीच रिश्तों को स्थिर करने की बात कही।
सबसे निचले स्तर पर रिश्ते
डोभाल ने सोमवार देर रात जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स समूह के एनएसए की बैठक के मौके पर वांग से जब मुलाकात की तो उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक एलएसी के लद्दाख सेक्टर में शांति बहाल नहीं हो जाती तब तक संबंध सामान्य नहीं हो सकते।
यह मीटिंग 14 जुलाई को जकार्ता में आसियान संगठन के विदेश मंत्रियों की मीटिंग से 10 दिन बाद हुई है। उस समय भी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वांग से मुलाकात की थी। सीमा विवाद की वजह से भारत-चीन संबंध छह दशकों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं।
विदेश मंत्रालय की तरफ से डोभाल और वांग की मीटिंग पर जानकारी दी गई है। मीटिंग के दौरान डोभाल ने कहा कि साल 2020 के बाद से ही भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर स्थिति ने रणनीतिक विश्वास और रिश्ते के सार्वजनिक और राजनीतिक आधार को खत्म कर दिया है।
रीडआउट में कहा गया है, ‘एनएसए ने स्थिति को पूरी तरह से हल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने के प्रयासों को जारी रखने के महत्व पर जोर दिया ताकि द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके।’ दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि भारत-चीन संबंध न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि क्षेत्र और दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण है।
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