अंतर्राष्ट्रीय

भारत का मुक़ाबला करने के लिए ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहा है चीन, कर्ज़ों का एहसान कर देशो को बना रहा है अपना हिमायती

India -China Relations: दक्षिण एशिया में चीन (India-China) के बढ़ते प्रभाव से निश्चित रूप से उसके मंसूबों के प्रति शक पैदा होता है। बीजिंग क्षेत्र के कुछ महत्वपूर्ण देशों की आर्थिक कमजोरी का फायदा उठाकर अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। भारत के साथ चीन के संबंधों को वास्तविक सीमा रेखा पर जारी संघर्षों से और भारत के आर्थिक विकास पर उसके करीबी नजर रखने से समझा जा सकता है जिसमें चीन India-China) ने आक्रमक रुख अपनाया हुआ है। क्षेत्र में भारत के प्रभाव को कम करने के लिए चीन पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों का सहारा ले रहा है, वहां निवेश कर रहा है और उनकी मदद कर रहा है जिनकी अर्थव्यवस्थ खस्ताहाल है।

नकदी की कमी से जूझ रहा पाकिस्तान जो तेजी से विदेशी कर्ज और बद से बदतर हो रही वित्तीय स्थिति के बोझ तले डूब रहा है, उसे चीन India-China) ने बारंबर राहत पैकेज दिया है। उसने वहां निवेश किया है, उसे कर्ज दिया है ताकि पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा की कमी न हो। इससे आने वाले समय में पाकिस्तान की राजनीति और वित्तीय विकास की दिशा तय करने में उसने अपनी भूमिका मजबूत कर ली है। पाकिस्तान में चीन एक और वजह से रुचि ले रहा है – चीन-पाकिस्तान-आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) और खुंजराब दर्रा तथा ग्वादर पोर्ट जैसे इसके महत्त्वपूर्ण स्थल।

अफ़ग़ानिस्तान से मज़बूत कर रहा है रिश्ते

माना जा रहा है कि चीन की ‘वन बेल्ट वन रूट’ (ओबीओआर) पहल के केंद्र में सीपीईसी रूट है क्योंकि इससे चीन की आर्थिक स्थिति मजबूत होने के अलावा भारत के साथ एलएसी पर उसकी स्थिति भी मजबूत होगी। ऐसे समय में जब वैश्विक ताकतों ने तालिबानी शासन को मान्यता नहीं दी है उसके साथ अपने संबंध मजबूत करने के मौके को भुनाते हुए चीन अफगानिस्तान में भी काफी निवेश कर रहा है जो बाद में क्षेत्र में उसकी निर्णायक के रूप में उसकी स्थिति को मजबूत करेगा।

पाकिस्तान को क़र्ज़ तले दबा रहा है

जब विदेशी निवेशक सुरक्षा जोखिम का हवाला देकर पाकिस्तान में निवेश करने से कतरा रहे हैं ऐसे समय में सीपीईसी निश्चित तौर पर पाकिस्तान के लिए जीवनरक्षक बनकर आया है। सीपीईसी आर्थिक विकास को गति देने और क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के लिए पाकिस्तान को ऐसा संभावित फ्रेमवर्क प्रदान करता है जो अमेरिका या भारत-केंद्रित रणनीतिक ढांचे से अलग है। यह बुनियादी ढांचों के मामले में पाकिस्तान के पिछड़ेपन को दूर करने में उसकी मदद कर सकता है, उसके उद्योग को अपने उत्पाद तैयार करने और उन्हें दुनिया में बेचने का जरिया उपलब्ध होगा।

यह भी पढ़ें: तेल का खेल! सबको पीछे छोड़ रूस बना सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता, India-Russia की जोड़ी से क्या बढ़ने वाली हैं अमेरिका की मुश्किलें?

आईएन ब्यूरो

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago