हाल ही में आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि, रूस भारत से तेल के साथ अन्य सामानों को छूट के साथ खरीदने की पेशकश की थी। जिसके बाद भारत ने भरोसा दिलाते हुए कहा था कि वह रूस के सामनों को खरीदेगा। अब भारत की रिफाइनरी कंपनियों ने रूस से रियायती दर पर तेल खरीदने के प्रयास तेज कर दिए हैं। मीडिया में आ रही खबरों की माने तो, इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के बाद अब हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड ने रूस से 20 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदा है। इंडियन आयल कारपोरेशन के बाद हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड ने रूसी क्रूड ऑयल खरीदने के लिए यूरोपीय व्यापारी विटोल को माध्यम बनाया है। अब इसी को लेकर अमेरिका ने एक बयान दिया था जिसपर भारत ने करारा जवाब देते हुए कहा है इस मामले पर राजनीति न करें।
दरअसल, भारत ने रूस से करीब 1.5 करोड़ बैरल कच्चा तेल आयात करने के कदम पर अमेरिका की ओर से की गई टिप्पणी का जवाब दिया है। सरकारी सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने अमेरिका से सख्त लहजे में कहा है कि 'इस मामले पर राजनीति करें'। सरकारी सूत्रों ने कहा है कि, भारत के वैध ऊर्चा लेन-देन का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, तेल आत्मनिर्भरता वाले देश या जो स्वयं रूस से आयात करते हैं, वे विश्वसनीय रूप से प्रतिबंधात्मक व्यापार की वकालत बिल्कुल भी नहीं कर सकते हैं। भारत अपनी ऊर्चा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर अत्यधिक निर्भर है। कच्चे तेल की आवश्यकता का लगभग 85 फीसदी (प्रतिदिन 5 मिलियन बैरल) आयात करना पड़ता है।
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत कच्चे तेल का अधिकांश आयात पश्चिम एशिया (इराक 23 फीसदी, सऊदी अरब 18 फीसदी, संयुक्त अरब अमीरात 11 फीसदी) से होते हैं। इसमें कहा गया कि भारत को प्रतिस्पर्धी ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करते रहना होगा। हम सभी निर्माताओं के ऐसे प्रस्तावों का स्वागत करते हैं। भारतीय व्यापारी भी सर्वोत्तम विकल्प तलाशने के लिए वैश्विक ऊर्जा बाजारों में काम करते हैं। अमेरिका भी अब भारत (7.3 फीसदी) के साथ कच्चे तेल का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है। चालू वर्ष में अमेरिका से आयात में काफी वृद्धि होने की संभावना है।