Indian Economy: इंडिया ने एक दशक में पूरी कहानी पलट दी है। भारत पर जिन अंग्रेजों ने 200 साल तक राज किया, उन्हें इस छोटे से ही समय में धूल चटा दिया है और यह सब मुमकीन हुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काल में। जब पूरी दुनिया महंगाई के मार से कराह रही है तो ऐसे में भारत अब तक इससे बचा हुआ है। पीएम मोदी के उठाए गए फैसले के चलते आज भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (Indian Economy) बन गया है। भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है। बीते 10 सालों में उसने 11वें पायदान से यहां तक का सफर तय किया है। यह हर लिहाज से शानदार और फख्र करने वाला है। अब भारत से आगे सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी रह गए हैं। यह ब्रिटेन के लिए बड़ा झटका है। 75 साल पहले जब देश आजाद हुआ था तब अंग्रेजों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसकी कॉलोनी उसे खिसकाकर 5 लीडिंग इकनॉमी (Indian Economy) में जगह बनाएगी। आज जब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हांफ रही हैं तो ऐसे में भारत विकास के राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। जब पश्चिमी देशों में महंगाई अपने चरम पर है तो भारत 2047 का सपना देख रहा है। हाल ही में पीएम मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित बनाने का टारगेट फिक्स किया है।
ब्रिटेन एक पायदान फिसलकर दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था रह गई है। भारत 2021 के आखिरी तीन महीनों में ब्रिटेन को पछाड़ते हुए पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बना। यह पूरी गणना अमेरिकी डॉलर में की गई है और इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड के जीडीपी के आंकड़े के मुताबिक भारत ने नए साल की पहली तिमाही में भी इस बढ़त को बरकरार रखा है। अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में एक स्थान फिसल जाने से ब्रिटेन को तगड़ा झटका लगा है। साथ ही यह देश के आगामी प्रधानमंत्री के लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाला है क्योंकि देश पहले से कई तरह के इकोनॉमिक चैलेंज से जूझ रहा है। कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य सोमवार को बोरिस जॉनसन के उत्तराधिकारी का चुनाव करेंगे। अब तक के अनुमानों के मुताबिक, ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री की दौड़ में विदेश मंत्री लिज ट्रुस भारतवंशी और देश के पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक से पीछे चल रही हैं।
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ब्रिटेन की सत्ता पर जो भी बैठा उसके सामने कई सारी चुनौतियां आने वाली है। पहली तो यही की देश की गिरती अर्थव्यवस्था को कैसे रोका जाए और फिर ऊपर लाया जाए। दूसरा देश में महंगाई के चलते लोग बेहाल है, इसपर भी लगाम लगाना जरूरी है। देश में महंगाई दर चार दशक के उच्च स्तर पर है और देश के मंदी की चपेट में आने की भी आशंका है। दूसरी ओर, सभी एनालिस्ट इस बात का अनुमान लगा रहे हैं कि भारत की जीडीपी चालू वित्त वर्ष में सात फीसदी की दर से आगे बढ़ सकती है। समायोजन के आधार पर और मार्च तिमाही के आखिरी दिन डॉलर एक्सचेंज रेट के इस्तेमाल के बाद नॉमिनल कैश टर्म्स में भारत की इकोनॉमी का आकार 854.7 अरब डॉलर पर रहा. वहीं, इसी आधार पर ब्रिटेन की इकोनॉमी का आकार 816 अरब डॉलर का रहा।