भारतीय नौसेना की कन्वेंशनल सबमरीन काफी पुरानी हो गई है। नौसेना को नयी सबमरीन की ज़रूरत है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के फ्रांस (France) दौरे से काफी उम्मीद लगाई जा रही है। नेवी को नई सबमरीन की जरूरत है और छह अडवांस्ड कन्वेंशनल सबमरीन के लिए प्रोजेक्ट-75 इंडिया में पहले ही देर हो चुकी है। अगर फ्रांस के साथ तीन अतिरिक्त सबमरीन का ऐलान होता है तो नेवी को कम होती सबमरीन के बीच कुछ राहत मिल सकती है।
मझगांव डॉकयार्ड में यह सबमरीन बनाई गई। पहली सबमरीन आईएनएस कलवरी दिसंबर 2017 में नेवी में कमिशन हुई। दूसरी सबमरीन आईएनएस खंडेरी सितंबर 2019 में, तीसरी आईएनएस करंज मार्च 2021 में और चौथी सबमरीन आईएनएस वेला नवंबर 2021 में नेवी में कमिशन हुई। प्रोजेक्ट-75 की पांचवीं स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन आईएनएस वागीर कुछ महीने पहले ही नेवी में कमिशन हुई। इस प्रोजेक्ट की छठी सबमरीन के अभी समंदर में ट्रायल चल रहे हैं। यह इस साल के अंत तक डिलिवर होगी और अगले साल ही नेवी में कमिशन हो पाएगी।
पांच-छह साल में मिल जाएगी तीन सबमरीन
नई सबमरीन के लिए प्रोजेक्ट-75 इंडिया प्रोजेक्ट के तहत रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) जारी किए गए हैं। 1 अगस्त तक आरएफपी की बोली समिट होनी है। अगर फ्रांस से तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन की डील होती है तो भी नेवी को ये सबमरीन मिलने में पांच-छह साल का वक्त लगेगा।
DAC से होगा अप्रूवल जरूरी होगा
पीएम के ऐलान से पहले रक्षा अधिग्रहण कमिटी (DAC) से अप्रूवल जरूरी होगा। माना जा रहा है कि गुरुवार को कमिटी की मीटिंग में अप्रूवल मिल सकता है। इसके बाद भी डील अनाउंस होने पर कॉन्ट्रैक्ट साइन होने में एक साल से दो साल तक का वक्त लग जाता है। कॉन्ट्रैक्ट होने के बाद पहली सबमरीन बनने में ही चार से पांच साल का वक्त लगेगा। हालांकि, इससे नेवी को कुछ राहत जरूर मिलेगी जो लगातार कम और पुरानी होती सबमरीन का संकट झेल रही है।
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