जब बात मानवीय संकट की आती है तो भारत यह नहीं देखता कि इससे जूझ रहा देश उसका दुश्मन है या दोस्त। मदद के नाम पर भारत कभी पीछे नहीं हटता। श्रीलंका में इस वक्त भयानक मंदी का दौर चल रहा है। देश की अर्थव्यवस्था इतिहास में पहली बार इतनी नीचे गिरी है। देश का विदेश मुद्रा भंडार खत्म हो चुका है। लोग सड़कों पर हैं और पेट्रोल डीजल तक की कमी हो गई है। ऐसे में भारत लगातार श्रीलंका की मदद करने के लिए गेहूं, पेट्रोल-डीजल से लेकर दवा तक भेज रहा है। इसके साथ ही आर्थिक रूप से भी मदद कर रहा है। इसके साथ ही तालिबान ने जब अफगानिस्तान पर कब्जा किया तो वो कभी नहीं सोचा था कि देश आज इतने बड़े मानवीय संकट का मुंह देखेगा। यहां भी भारत बिना सोचे समझे मदद कर रहा है। तालिबान के कब्जा के बाद अब पहली बार भारतीय दल अफगानिस्तान पहुंचा है। यहां पर मानवीय सहायता पर चर्चा होगी।
भारत की टीम पहली बार आधिकारिक यात्रा पर काबुल पहुंची है। केंद्रीय विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में एक टीम अफगानिस्तान की राजधानी पहुंची है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि काबुल में, वे तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से मिलेंगे और अफगानिस्तान के लोगों को भारत की मानवीय सहायता पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि, अफगानिस्तान में मानवीय सहायता अभियान का जायजा लेने के लिए भारत से विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का दल काबुल गया है। बयान के अनुसार, मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पीएआई) के नेतृत्व में अधिकारियों का एक दल अफगानिस्तान गया है।
इसमें कहा गया है कि यह दल मानवीय सहायता से संबद्ध विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगा और संभवत: उन स्थानों पर भी जाएगा जहां भारतीय कार्यक्रम/परियोजनाएं लागू की जा रही हैं । इसके आगे मंत्रालय ने कहा है कि, अफगानिस्तान के लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भारत अब तक 20 हजार मीट्रिक टन गेहूं, 13 टन दवा, 5 लाख कोविड रोधी टीके की खुराक, सर्दी में उपयोग किए जाने वाले कपड़े आदि वहां भेज चुका है। ये सारी सामाग्रियां काबुल में इंदिरा गांधी बाल अस्पताल, WHO, WUP जैसी संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों को सौंपी गई है। मंत्रालय ने कहा कि, भारतीय दल तालिबान नेताओं से मुलाकात कर अफगानिस्तान में लोगों के लिए भारतीय मानवीय सहायता के बारे में भी चर्चा करेंगे।