Indian Weapon Export to Armenia: आज दुनिया में जितने भी बड़े देश के नेता हैं उनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम टॉप 5 में आता है। पीएम मोदी ने देश के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी मजबूत किया है। उन्होंने दुनिया के भारत एक अलग ही छवी खड़ी कर दी है। दुनिया में चाहे प्राकृतिक आपदा हो या फिर कोई जंग हर कोई भारत से मदद की उम्मीद करता है। भारत हर एक क्षेत्र में लगातार तेजी से आगे बढ़ रहा है। ऐसे में दुनिया इंडिया के साथ मिलकर चलना चाहती है। डिफेंस के क्षेत्र में भारत ने काफी तरक्की की है। आज कई हथियार विदेशी नहीं बल्कि देशी हैं। फाइटर जेट से लेकर, टैंक, तोप, वॉर शीप से लेकर कई आधुनिक हथियार देश में निर्मित किये गये हैं। इन हथियारों की अब दुनिया में मांग तेजी से बढ़ने लगी है। वियतनाम, फिलीपींस से लेकर आर्मीनिया तक भारत के हथियारों के दीवाने हैं। अब आर्मीनिया ने पिनाका के बाद तोप पर अपनी दीवानगी दिखाया है।
पिनाका के बाद तोप पर आया अर्मेनिया का दिल
दरअसल, अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच तनाव जारी है। ऐसे में आर्मेनिया, भारत से हथियार खरीद रहा है। पिनाका मिसाइल सिस्टम के बाद अब अर्मेनिया ने भारत के साथ एक बड़ी आर्टिलरी डील की है। हथियार सिस्टम की बड़ी कंपनी पुणे स्थित भारत फोर्ज ने एक बड़ा ऐलान किया है। भारत फोर्ज ने बताया है कि कल्याणी स्ट्रैटेजिक सिस्टम्स को अर्मेनिया से 155 एमएम की तोप का कॉन्ट्रैक्ट मिला है जो कि तीन साल के लिये है। यह कॉन्ट्रैक्ट 155 मिलियन डॉलर का है। यह खबर भारत सरकार की तरफ से लॉन्च किए गए आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के लिये एक बड़ी उपलब्धि है।
अमेरिकी रॉकेट सिस्टम हीमर्स को रिजेक्ट कर पिनाका खरीदा था
कंपनी की तरफ से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को एक नोटिफिकेशन भेजकर इस बात की जानकारी दी गई है। लेकिन, ये नहीं बताया गया कि ये ऑर्डर किस देश की ओर से मिला है। उसने बस इतना ही बताया कि यह वह जोन है जहां पर फिलहाल कोई संघर्ष नहीं चल रहा है। कंपनी का कहना है कि यह ऑर्डर आत्मनिर्भर भारत के एजेंडे के लिये एक बड़े मौके की तरह है। अक्टूबर में भी भारत के रक्षा उद्योग के लिए अर्मेनिया से एक गुड न्यूज आई थी। उस समय अजरबैजान के साथ जारी संघर्ष के बीच ही अर्मेनिया ने 2000 करोड़ रुपए के कॉन्ट्रैक्ट के साथ भारत में बने पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम को खरीदने का ऐलान किया था। अर्मेनिया ने पिनाका को खरीदने के लिए अमेरिकी रॉकेट सिस्टम हीमर्स को भी रिजेक्ट कर दिया था। विशेषज्ञों की मानें तो यह कॉन्ट्रैक्ट न केवल बढ़ते हुए भारतीय रक्षा उद्योग के बारे में बताता है बल्कि यह भी बताता है कि किस तरह से पिछले कुछ वर्षों में भारत की रक्षा निर्यात नीति में बड़ा बदलाव हुआ है।