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Russia पर पाबंदियां लगाना यूरोपीय देशों को पड़ रही भारी, बेलगाम हुई महंगाई- जनता ने कहा हाय…

Russia पर पाबंदियां लगाना यूरोपीय देशों को पड़ रहा भारी

यूक्रेन और रूस जंग के बीच अमेरिका, नाटो संग पूरे पश्चिमी देशों ने रूस को काबू पर करने के लिए और उसकी अर्थव्यवस्था को गिराने के लिए कड़े से कड़ा प्रतिबंध लगाया। लेकिन, इससे रूस को जितना फर्क पड़ा है उससे कहीं ज्यादा इन यूरोपीय देशों को पड़ा है। आलम यह है कि, तेल, खाने से लेकर हर चीजों के दामों में भारी वृद्धि हो गया है। महंगाई अपने चरम पर है। जनता बेहाल है। यूरोपीय देशों को लगा था कि कड़े प्रतिबंध से रूस टूट जाएगा लेकिन, इसका असर उनपर उलटा पड़ गया है। कई चीजों की आपूर्ती रूस से की जाती थी, खासकर पूरा यूरोप पर ज्यादातर रूसी ईंधन पर ही निर्भर था लेकिन, अमेरिका ने अपनी अकड़ के चक्कर में इसे भी बैन कर दिया है।

यूरो मुद्रा का इस्तेमाल करने वाले देशों में महंगाई रिकॉर्ड दर स्तर पर पहुंच गई है। यूरोप की बड़ी अर्थव्यवस्थायें एक साथ कई मोर्चे पर संकट से जूझ रही है। महामारी और युद्ध के संकट ने महंगाई बढ़ा दी है और विकास घट गया है। एक तरफ यूक्रेन युद्ध के प्रभाव में ईंधन की कीमतें आसमान छू रही हैं तो दूसरी तरफ कोविड की महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी पूरी तरह से लौटी नहीं है। इन देशों में रहने वालों के घरेलू खर्च का बजट गड़बड़ा गया है। अप्रैल के महीने में सालाना महंगाई की दर 7.5 फीसदी पर चली गई है। यूरोजोन में 1997 में महंगाई के आंकड़े दर्ज होने शुरू हुए थे और तब से अब तक के दौर में यह सबसे ज्यादा है। इसके साथ ही छठी बार लगातार रिकॉर्ड टूटा है। इससे पहले मार्च में यह भी 7.4 फीसदी के साथ यह रिकॉर्ड टूटा था। यूरोजोन में रहने वाले 34.3 करोड़ लोगों पर यूक्रेन युद्ध के असर का पता इससे पता चल जाता है कि यहां ऊर्जा की कीमतें 38 फीसदी बढ़ गई हैं।

बढ़ती खाद्य कीमतों के बीच यूरोप की चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं कि, रूस से तेल और गैस की सप्लाई आने वाले हफ्तों या महीनों में रूक सकती है। रूस दुनिया में तेल का सबसे बड़ा निर्यातक है। ऐसे में माना जा रहा है कि, गैस और तेल की कमतों में और भी ज्यादा वृद्धि आने वाली है। महामारी के चलते बीते दो साल से ज्यादा समय में तेल की मांग और कीमत काफी नीचे चले गये थे। इसके नतीजे में तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक और उसके सहयोगी रूस ने उत्पादन बढ़ाने में काफी सावधानी बरती और फिर तेल के दाम ऊपर चले गये। युद्ध शुरू होने से पहले ही बढ़ रही तेल की कीमतों को अब पर लग गये हैं। घरेलू बजट बिगड़ा यूरोपीय संघ की सांख्यिकी एजेंसी यूरोस्टेट ने शुक्रवार को ये आंकड़े जारी किये।