Islamic Countries Against Uyghur Muslims: संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद में शिंजियांग के उइगर मुस्लिमों (Islamic Countries Against Uyghur Muslims) पर हो रही क्रूरत के लिए चीन को दोषी ठहराने में अमेरिका नाकाम हो गया। वैसे ये अमेरिका की नाकामी नहीं है ये पूरी दुनिया में रह रहे मुस्लिमों की नाकामी है। दुनिया के सामने जब अमेरिका ने चीन को नंगा करने की सोचा तो यही मुसलमान आज उइगर मुस्लिमों के खिलाफ आवाज उठाने से पीछे हट गए। लेकिन, जब भारत में मुस्लिमों की बात करनी होगी तो ये लाइन में सबसे आगे खड़ा होकर गला फाड़ेंगे। जिन देशों को चीन द्वारा किया जा रहा उइगर मुसलमानों (Islamic Countries Against Uyghur Muslims) पर अत्याचार नजर नहीं आया उसमें पाकिस्तान, कतर भी शामिल हैं। हालांकि, अब आलम यह है कि दुनिया के मुस्लिम लोगों की निशाने पर हैं और लोग जमकर सवाल दाग रहे हैं। ये वही, इस्लामिक देश हैं जो भारत को ज्ञान देते हैं, जो कश्मीर पर जहरीले बयान देने से पहले एक बार भी नहीं सोचते। लेकिन, चीन के खिलाफ जाने की इनकी हिम्मत नहीं हुई। यहां इनको अपनापन नहीं नजर आया।
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उइगरों पर अत्याचार के नाम पर इस्लामिक देशों की हलक सूखी
अमेरिकी प्रस्ताव के समर्थन में 17 देश और इसेक विरोध में 19 देशों ने वोट डाले। 11 देश अनुपस्थित रहे। अमेरिकी प्रस्ताव का विरोध करने वाले देशों में पाकिस्तान, दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम जनसंख्या वाला देश इंडोनेशिया, कजाखस्तान, भारत को ज्ञान देने वाला कतर, संयुक्त अरब अमीरात जैसे मुस्लिम देश शामिल थे। इनमें कई ऐसे देश थे जो अक्सर कश्मीर और भारतीय मुस्लिमों को लेकर जहरीले बयान देते रहते हैं। इस्लामिक देशों के दोमुंआपन की सोशल मीडिया पर जमकर क्लास लगाई जा रही है।
इस्लामिक देशों ने नहीं दिया उइगरों का साथ
पश्चिमी देशों के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था, उन्हें वाकई में इसका अंदाजा नहीं था कि, मुस्लिम देश ही उइगरों के खिलाफ हो जाएंगे। उइगरों के ऊपर हो रहा अत्याचार को वो नजरअंदाज कर देंगे। चीन पर आरोप है कि, उनसे अपने शिंनजियांग प्रांत में 10 लाख उइगर मुस्लिमों को कौद करके रखा हुआ है। पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में चीन की क्रूरता पर कई सवाल उठाए गए थे। अमेरिका ने यह भी आरोप लगाया है कि चीन शिंनजियांग में जबरन लोगों से काम करा रहा है और नरसंहार कर रहा है। उइगर मुस्लिमों के शरीर के पार्ट्स निकाल कर चीन ब्लैक मार्केट में धड़ल्ले से बेच रहा है।
उइगरों मुस्लिमों पर चीन का साथ
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में वोटिंग के दौरान जिन देशों ने चीन का साथ देने वाले देशों में.. बोल्विया, कैमरून, चीन, क्यूबा, इरिट्रिया, गैबन, इंडोनेशिया, आइवरी कोस्ट, कजाखस्तान, मौरितानिया, नामिबिया, नेपाल, पाकिस्तान, कतर, सेनेगल, सूडान, यूएई, उज्बेकिस्तान और वेनेजुएला शामिल हैं।
चीन के खिलाफ वोटिंग
चिन के खिलाफ वोट देने वाले देशों में अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, नार्वे, स्वीडन और तुर्की शामिल हैं। तुर्की एक इस्लामिक देश है और वह अक्सर उइगर मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचार पर आवाज उठाता रहता है।
अमेरिका ने इसे बताया शर्मनाक
भारत और यूक्रेन समेत 11 देश इस मतदान चुनाव में तटस्थ रहे। अमेरिका और पश्चिमी देश चाहते थे कि चीन के शिंजियांग में चल रहे अत्याचार पर परिषद के अंदर बहस हो। यह अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की तरफ से चीन को निशाना बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की इस प्रमुख संस्था पहला प्रस्ताव था। इस मतदान के बाद अमेरिकी राजदूत माइकल टेलर ने कहा, ‘अमेरिका शिंजियांग पर आज के बहस को रोकने वाले वोट की निंदा करता है।’ उन्होंने कहा कि यह फैसला नहीं हो पाना यह दर्शाता है कि कुछ देश शर्मनाक तरीके से जांच से मुक्त हैं और उन्हें मानवाधिकारों के उल्लंघन का अधिकार है।
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भारत को ज्ञान देने वाले इस्लामिक देश भी रहे चुप
उइगर मुस्लिमों के ऊपर हो रहे अत्याचार को देखकर आंखें बंद करने वाले ये वही इस्लामिक देश हैं जो अक्सर भारत को कश्मीर और मुसलमानों की स्थिति पर ज्ञान देते रहते हैं। पाकिस्तान आए दिन इस्लामिक देशों की संस्था ओआईसी में पहुंचा रहता है और भारत के खिलाफ दबाव डालकर बयान दिलवाता रहता है। उइगर मुस्लिमों के साथ ओआईसी भी नहीं आई। यह वही ओआईसी है जो भारत में मुस्लिमों के मानवाधिकारों को लेकर हाय तौबा मचाती है। चीन के खिलाफ इनकी जाने की हैसियत नहीं है। इन्हें डर लग रहा है। ये दोगलेपन की राजनीति है। साफ है कि, ये बिना तथ्यों के बोलने वाले इस्लामिक देश हैं। जहां तथ्य था तो वहां इनकी जुबान में लकवा मार दिया।
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