उइगर मुसलमानों (Uyghurs Muslims) पर प्रताड़ना की बात को चीन हमेशा नकारता रहता है लेकिन, हकीकत यह है कि इनकी जिंदगी ड्रैगन ने नर्क से भी बदतर बना दी है। इनके अंगों की तस्करी तक चीन करता है। यहां तक कि उइगर मुसलमानों (Uyghurs Muslims) की जबरन नसबंदी भी की जाती है। शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुसलमानों पर संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी कर गया है कि, चीन अपने देश में रहने वाले उइगरों पर अत्याचार करता है। यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है। इन्हें डिटेंशन सेंटर में कैद करके प्रताड़ित किया जाता है। यातनाएं दी जाती हैं। उनकी नसबंदी कराई जाती है। उइगर मुसलमानों (Uyghurs Muslims) पर चीन अत्याचारों की सारी सरहदें लांघ चुका है। लेकिन, इसके बाद भी वो लगातार इसका विरोध करता रहा है। यूएन की रिपोर्ट को तो वो राजनीति से प्रेरित बता रहा है।
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पहली बार उइगर मुसलमानों पर अत्याचार का मुद्दा नहीं उठा है, इससे पहले भी कई बार चीन की हकिकत सामने आ चुकी है। पिछले साल नवंबर में शी जिनपिंग और बाइडेन के बीच हुई वर्जुअल मीटिंग में भी उइगरों के खिलाफ मानवाधिकरों के हनन पर चीन की आलोचना की गई थी। चीन एक ओर तो अपने यहां रहने वाले उइगर मुसलमानों को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्ज दिया है और दूसरी वो इन्हें मूल निवासी मानने से इनकार करता है। यही चीन अपने बड़े-बड़े इंडस्ट्रियों में बड़े स्तर पर उइगर मुसलमानों को बतौर मजदूर और कारीगर भर्ती किया हुआ है। यही वजह है कि चीन इन्हें निकाल नहीं सकता।
चीन इन पर आतंकवाद और अलगाववाद का आरोप लगाता रहा है। शिनजियांग प्रांत में दो गुट हैं, पहला उइगर मुसलमानों का और दूसरा चीनी लोगों का। मेहनत बराबर करते हैं लेकिन, भेदभाव सिर्फ उइगर मुसलमानों के साथ होता है। कई बार दोनों गुटों की लड़ाई हुई, जिसके बाद चीन ने एकतरफा उइगर मुसलमानों के लिखाफ कार्रवाई की। इसी झगड़ों की आंड़ लेकर चीन इन पर सख्त कार्रवाई करता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन इनका शारीरिक उत्पीड़न करने के लिए कई तरीके आजमाता है। चीन इन्हें शिविरों में कैद करके रखा हुआ है, इस मामले पर वो कहता है कि, ऐसे शिविर शैक्षणिक केंद्र हैं।
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उइगर मुसलमानों को लेकर पूर्व चीनी अधिकारी जियांग खुलासा कर चुके हैं। वो बताते हैं कि, चीन के डिटेंशन सेंटर्स जिसे शैक्षणिक केंद्र बताया जाता है वहां, पर इन्हें कुर्सी से बांद कर इनपर कोड़े, लाठी और लात-घूसों से पीटा जाता है। ये मानसिक रूप से टूट जाएं, इसलिए इन्हें सोने भी नहीं दिया जाता। इनमें नाबालिग भी शामिल हैं। उनका कहना है कि, इनपर छोटे आरोप लगाकर सालों तक जेल में बंद किया जाता है।