चीन लद्दाख में फिर से अपने सेना की तैनाती बढ़ा दी है। भारत इस बार पुरी तैयारी में है। इस तनानती के बीच भारत ने सीमा पर K-9 वज्र तोपों को तैनात कर दिया है। यह तैनाती इन तोपों की ऊंचे पहाड़ी इलाकों में चीन के खिलाफ मारक क्षमता परखने के लिए की गई है। बॉर्डर पर K-9 वज्र को ऊंचाई वाले इलाकों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका सफल परीक्षण भी हो चुका है। इसे आर्मी की सभी रेजीमेंट में शामिल किया जाएगा, जिससे सेना की ताकत बढ़ेगी।
लद्दाख में चीन लगातार भारत के सीमा पर घुसपैठ कर रहा है। भारत ने भी चीन को अपने तेवर दिखा दिए हैं। र्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे शुक्रवार को दो दिन के पूर्वी लद्दाख दौरे पर पहुंचे। यहां उन्होंने मौजूदा सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान आर्मी चीफ ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है।
100 के-9 वज्र-टी तोपों को सेना में शामिल किया जाना बेहद अहम माना जा रहा है। इसी साल फरवरी के महीने में एलएंडटी ने थलसेना प्रमुख, जनरल एमएम नरवणें 100वीं तोप सौंपी थी। ये सेल्फ-प्रोपेल्ड आर्टेलेरी गन हैं यानि इन तोपों को किसी ट्रक या किसी दूसरी तरह से खींचने की जरूरत नहीं होती है। के-9 वज्र तोप की मारक क्षमता 38 किलोमीटर है। यह जीरो रेडियस पर चारों तरफ घूमकर वार कर सकती है। 155 एमएम/52 कैलिबर की 50 टन वजनी तोप से 47 किलो का गोला फेंका जा सकता है। यह तोप 15 सेकंड के अंदर 3 गोले दागने में सक्षम है। इसमें 155 मिमी की तोप लगी है, जिसकी रेंज 18 से 52 किमी है।
इस तोप में 5 सैनिकों बैठ सकते हैं। इसका निर्माण दक्षिण कोरिया की कंपनी ने किया है। इसकी एक इकाई गुजरात में भी है। इन तोपों के मिल जाने से सीमा पर भारतीय सेना और मजबूत हो गई है। चीन अगर कोई हरकत करता है तो भारतीय जवान फैरन जवाब देने के लिए डटे हुए हैं।