दुनिया के कई देश चीन से परेशान हैं। खासकर वो देश जो इससे लगती सीमा साझा करते हैं। नेपाल में तो चीन काफी अंदर घुस गया है। ताइवान पर लगातार कब्जा करने की फिराक में है। समुद्र में भी यही हाल है। अब जो दिश इससे सीमा साझा नहीं करते वो इसके कर्ज जाल में फंस रहे हैं। इस वक्त पाकिस्तान और श्रीलंका इसके उदाहरण हैं। श्रीलंका में जो हाल है वो चीन का ही दिया हुआ है और पाकिस्तान को भी इस हाल में करने में ड्रैगन का हाथ रहा है। श्रीलंका में की अर्थव्यवस्था तो पूरी तरग गिर गई है। यहां दवा, तेल, खाने की किल्लतें बढ़ गई हैं। अब यही नेपाल में भी देखने को मिल सकता है।
नेपाल की भी अर्थव्यवस्था डगमगाने लगी है। नेपाल का केंद्रीय बैंक नेपाल राष्ट्र बैंक (एनआरबी) अर्थव्यवस्था को बचाने में जुट गया है। एनआरबी ने अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर नियंत्रण लगाने को कहा है। वहीं बैंको को वाहनों समेत गैर जरूरी चीजों के लिए कर्ज न देने का निर्देश दिया है। NRB ने 27 वाणिज्यिक बैंकों के साथ हुई बैठक में बैंकों को कर्ज न देने का निर्देश दिया है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय बैंक का ये फैसला डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने की खातिर है। इसी तरह नेपाल आयातित पेट्रोलियम उत्पादों के लिए भारत को हर महीने 24 से 29 अरब रुपये का भुगतान करता है।
इस सुझाव के बाद वित्त मंत्रालय इस रकम में कटौती कर 12 से 13 अरब रुपये करे। केंद्रीय बैंक के सुझाव पर नेपाल के तेल निगम के कार्यवाहक प्रबंध निदेशक नाग्रेंद शाह ने कहा है कि, अगर सुझाव मान लिया जाता है तो पूरे नेपाल में पेट्रोलृडीजल का गंभीर संकट हो सकता है। निगम ने जुलाई 2021 तक हर महीने 14 अरब डॉलर का कर्च ईंधन पर किया। कीमतों में बढ़ोतरी के कारण खर्च दोगुना हो गया है।
वहीं, विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट देखने को मिली है। केंद्रीय बैंक के आंकड़ों में बताया गया है कि, फरवरी के मध्य तक नेपाल के पास मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार में 17 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। 2021 जुलाई मध्य में नेपाल के पास 11.75 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था जो फरवरी में घटकर 9.75 अरब डॉलर रह गया है। बैंक ने कहा कि, उसके पास इतना ही विदेशी भंडार बचा है जिससे 6.7 माह तक ही जरूरी वस्तुओं का आयात संभव है, जबकि बैंक का लक्ष्य सात माह होता है।