मोसाद, इजरायल (Israel) के दुश्मनों में खौफ और दहशत का दूसरा नाम। पिछले दिनों जब हमास ने इजरायल (Israel) को निशाना बनाया तो लोग इस एजेंसी पर भी सवाल उठाने लगे। लेकिन इसके बाद भी यह सच कमजोर नहीं पड़ेगा कि मोसाद आज भी एक खतरनाक एजेंसी है। मोसाद ने पिछले कुछ वर्षों में ट्रैप्ड कारों, फोन बम, रिमोट-कंट्रोल्ड बंदूकें और जहर जैसे तरीकों का प्रयोग करके अपने दर्जनों दुश्मनों को ढेर कर दिया है। जासूसी की क्रूर तकनीकों ने ही इसे एक खतरनाक एजेंसी बना डाला है। इस वजह से ही इसके जासूसों का नाम लेते ही लोग थर्-थर कांपने लगते हैं।
करीब 2.2 अरब पाउंड के बजट और 7000 से ज्यादा स्टाफ वाली मोसाद के साथ काम करना इस दुनिया की सबसे मुश्किल नौकरियों में से एक है। इजरायल (Israel) ऐसे देशों और समूहों से घिरा हुआ है, जो उसे देश का दर्जा नहीं देते हैं। ऐस में इजरायल अपने हितों की रक्षा करने में लगा हुआ है। सन् 1940 के दशक के अंत में मोसाद का गठन किया गया था। तब से लेकर अब तक इसके जासूसों ने देश के सैकड़ों दुश्मनों को ढेर कर दिया है। मोसाद के अंदर भी एक ऐसा ग्रुप है जो कई ऑपरेशनों को अंजाम देता है और उसे सीजरिया यूनिट कहा जाता है। मशहूर इजरायली जासूस माइक हरारी ने सन् 1970 के दशक की शुरुआत में इस यूनिट की स्थापना की थी।
सीजारिया के यूनिट के अंदर ही एक और यूनिट है जो बहुत ही ज्यादा खतरनाक है। इसे हिब्रू में किडोन या ‘भाले की नोक’ के तौर पर जाना जाता है। इसके सीक्रेट जासूसों के पास विरोधियों को खत्म करने के लिए उपायों का भंडार है। अक्सर जासूस पारंपरिक तरीके जैसे चुंबकीय बम का प्रयोग करते हैं जिन्हें रिमोट कंट्रोल की मदद से ब्लास्ट कर दिया जाता है। जबकि कुछ पुराने और रिटायर्ड जासूसों ने और भी अनोखी तकनीकों की बात की। इनमें जहरीला टूथपेस्ट तक शामिल है जिसके शिकार को मरने में कई महीने लग जाते हैं। मोसाद का पहला हाई-प्रोफाइल ऑपरेशन सन् 1972 में म्यूनिख नरसंहार के बाद हुआ था। उसमें फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह ने ओलंपिक टीम पर हमला करके 17 लोगों की हत्या कर दी थी। मोसाद ने उस खतरनाक आतंकी हमले का बदला लेने के लिए ऑपरेशन बेयोनेट को अंजाम दिया।
सन् 1972 से 1988 के बीच जासूसों ने कार बम, फायरिंग और बाकी तरीकों का प्रयोग करके म्यूनिख नरसंहार में शामिल दर्जनों लोगों को मार डाला। मोसाद का सबसे हालिया हाई-प्रोफाइल ऑपरेशन सन् 2020 में था जब उसने ईरान के संदिग्ध परमाणु हथियार कार्यक्रम के मास्टरमाइंड मोहसिन फखरीजादेह को मार गिराया गया था। उसमें किडोन यूनिट ने रिमोट कंट्रोल मशीन गन का प्रयोग करके डॉक्टर फखरीजादेह को मारा था। इस मशीन गन को ईरान में तस्करी करके लाया गया था और कई हिस्सों में एसेंबल किया गया था। पूरे ऑपरेशन में शुरू से अंत तक केवल तीन मिनट लगे और इसमें शामिल किसी भी व्यक्ति का पता नहीं लगाया जा सका। साल 2011 में ईरान के परमाणु वैज्ञानिक दारिउश रेजैनेजाद को उनके घर के सामने ही मोटरसाइकिल पर सवार लोगों ने मार डाला था। रेजैनेजाद को पांच बार गोली मारी गई थी।
मोसाद के जासूसों के लिए चुंबकीय बम पसंदीदा हथियार हैं क्योंकि इन्हें दूर से ही ब्लास्ट किया जा सकता है। साल 2012 में ईरान के परमाणु वैज्ञानिक मुस्तफा अहमदी-रोशन की उनकी कार के नीचे लगे चुंबकीय बम से ही मार डाला गया था। मोसाद के जासूसों ने फोन बमों का भी प्रयोग किया है। सन् 1996 में देखा गया था हमास के मास्टर बम निर्माता याह्या अय्याश को मोबाइल फोन में ब्लास्ट करके ही मारा गया था। जहर देना भी मोसाद का एक पसंदीदा तरीका रहा है। माना जाता है कि साल 2007 में परमाणु वैज्ञानिक अर्देशिर होसेनपुर की जहरीली गैस से मौत हो गई थी। वह कई सालों से मोसाद के दुश्मन थे। मोसाद को आशंका थी कि वह हथियार ग्रेड प्लूटोनियम के उत्पादन का नेतृत्व कर रहे थे।
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