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सऊदी अरब में MBS के साहसिक सुधार के पीछे वहाबी कट्टरपंथी नहीं,अहले क़ुरान है

सऊदी अरब में साहसिक सुधारों का चेहरा बने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सुल्तान

मोहम्मद अनस

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) द्वारा शुरू किए गए सुधारों के पीछे उदारवादी विद्वानों की एक टीम के प्रभाव में हदीस से दूर हटना और कुरान की ओर मुड़ना स्पष्ट रूप से रहा है। किंगडम द्वारा नियोजित कुछ भारतीय मौलवियों और धर्मशास्त्रीय प्रवचन में परिवर्तन की निगरानी करने वालों का कहना है कि एमबीएस के ये नये सलाहकार अहले कुरान के क़रीब हैं, इस्लामी विद्वानों का यह समूह मानता है कि केवल पवित्र क़ुरान ही ईश्वरीय क़ानून का स्रोत है और हदीस साहित्य बेमानी हो सकता है। ।

 

सऊदी धार्मिक दर्शन के प्रमुख सिद्धांत वहाबवाद से दूर जाने की प्रक्रिया में किंग सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद ने हदीस के उपयोग की जांच करने के लिए एक प्राधिकरण की स्थापना का आदेश दिया गया है। यह प्राधिकरण पैग़ंबर (PBUH) के कथनों, कार्यों या आदतों का उपयोग उपदेशकों और न्यायविदों द्वारा जीवन के सभी पहलुओं पर शिक्षाओं और फ़रमानों का समर्थन करने के लिए किया जायेगा। इस शाही फ़रमान के अनुसार, यह निकाय मदीना में स्थित होगा और दुनिया भर के वरिष्ठ इस्लामी विद्वानों की एक परिषद द्वारा इसकी देखरेख की जायेगी।

वहाबवाद हदीस से अपनी शक्ति प्राप्त करता है और इस्लाम का एक सख़्त संस्करण प्रस्तुत करता है।

अमेरिकी पत्रिका, ‘द अटलांटिक’ के साथ एक साक्षात्कार में एमबीएस ने 2022 में कहा था कि हदीस को चरमपंथियों और आतंकवादियों के दुरुपयोग से बचाने के लिए पैग़ंबर (हदीस) की सबसे प्रामाणिक परंपराओं का दस्तावेज़ीकरण करने के लिए बड़े प्रयास चल रहे हैं।

किंग ख़ालिद विश्वविद्यालय के एक शिक्षक ने इंडिया नैरेटिव को बताया, “2018 के बाद से विभिन्न सऊदी टेलीविज़न चैनलों पर लगभग सभी धार्मिक कार्यक्रम प्रशासनिक और सामाजिक जीवन को नियंत्रित करने वाले क़ानूनों की व्याख्या करते हुए कुरान में निषेधाज्ञा का हवाला देते हैं। केवल उन हदीसों को उद्धृत किया गया है, जो क़ुरान के संदेश की पुष्टि करते हैं।”

वह बताते हैं कि सरकार ने पर्याप्त संकेत दिए हैं कि इसका उद्देश्य भविष्य में क़ानून बनाने के लिए धीरे-धीरे हदीस का उपयोग बंद करना है और केवल उन हदीसों का हवाला दिया जायेगा, जो क्राउन प्रिंस के “उदारवादी इस्लाम” के उदारवादी संस्करण के साथ मेल खाते हैं।

शिक्षक ने कहा, “एक स्थानीय सऊदी समाचार पत्र के साथ एक साक्षात्कार में एमबीएस ने हदीस के एक अंश का हवाला देते हुए कहा कि पैग़ंबर ने अपनी पत्नियों के साथ दौड़ लगाई और पैगंबर के समय में महिलाओं की सार्वजनिक जीवन में भूमिका थी। यह स्पष्ट रूप से महिलाओं के लिए सऊदी समाज को खोलने-उन्हें ड्राइव करने, वरिष्ठ कॉर्पोरेट पदों पर कब्जा करने, होटलों में पुरुषों के साथ रहने आदि के लिए राज्य के क़दमों को सही ठहराने वाला था।”

संस्कृति और सूचना मंत्रालय के साथ काम करने वाले एक धार्मिक विद्वान नईम अमीन (बदला हुआ नाम) ने कहा कि एमबीएस के विचारों और उनके साक्षात्कारों की क्लिप्स को विभिन्न मीडिया संगठनों, विशेष रूप से टीवी चैनलों को प्रसारित करने के लिए भेजा जाता है, जिसमें हदीस के बजाय कुरान पर ज़ोर दिया जाता है। हाल ही में एमबीएस ने हदीस के बारे में कहा,जिसे कि मैं शब्दशः उद्धृत कर रहा हूं – ‘आपके पास हज़ारों हदीस हैं। और, आप जानते हैं कि इसमें सबके सब सिद्ध नहीं हैं और बहुत से लोग जो कर रहे हैं, उसे सही ठहराने के तरीक़े के रूप में इनका उपयोग किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, अल-क़ायदा के अनुयायी, आईएसआईएस के अनुयायी। वे लोग या संगठन हदीस का उपयोग कर रहे हैं, जो बहुत कमज़ोर हैं, उनकी विचारधारा का प्रचार करने के लिहाज़ से हदीस सही साबित नहीं हुई हैं। तो, सीधे शब्दों में कहें: अल्लाह और क़ुरान हमें पैग़ंबर की शिक्षाओं का पालन करने के लिए कहते हैं। और पैग़बर के समय में लोग क़ुरान लिख रहे थे, और पैग़ंबर की शिक्षाओं को लिख रहे थे, इसलिए पैग़ंबर ने आदेश दिया कि उनकी शिक्षाओं को यह सुनिश्चित करने के लिए नहीं लिखा जायेगा कि मुख्य आधार कुरान बना रहे, इसलिए जब हम पैगंबर के शिक्षण के लिए उनसे गुज़रते हैं,तो हमें बहुत सावधान रहना होगा।  इसका कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है और प्रसार के लिए कई मीडिया आउटलेट्स को भेजा गया है।”

उन्होंने कहा कि किंगडम में प्रकाशित नयी किताबें एमबीएस की क़ुरान की दृष्टि को सऊदी मानस में गहराई से अंतर्निहित करेंगी।

इंडिया नैरेटिव द्वारा साक्षात्कार में सऊदी अरब में स्थित चार अलग-अलग विद्वानों ने कहा कि एमबीएस का यह सुधार अभियान क़ुरानवादियों के प्रभाव का परिणाम हो सकता है।एक विद्वान ने कहा, “उनके पूर्व सलाहकार सऊद अल-कहतानी ने एमबीएस के धार्मिक और राजनीतिक दृष्टिकोण पर बहुत अधिक प्रभाव डाला है। हमने काहतानी को सार्वजनिक रूप से हदीस का हवाला देते हुए कभी नहीं सुना। शाही सेवाओं में शामिल होने के पहले वह एक टेक्नोक्रेट और आधुनिकतावादी रहे हैं। इस बात की बहुत संभावना है कि उन्होंने एमबीएस को धार्मिक बदलाव और क़ुरान के पक्ष में हदीस छोड़ने के लिए राज़ी किया हो।”

कहातानी को उन हत्यारों का सरगना कहा जाता है, जिन्होंने सऊदी पत्रकार जमाल ख़शोगी की हत्या की थी। वह कथित तौर पर 2019 से हाउस अरेस्ट है।

 

एमबीएस के तहत सऊदी में हालिया सुधार

सऊदी अरब धार्मिक पुलिस की शक्तियों पर अंकुश लगाता है, जो कभी सार्वजनिक स्थानों पर गश्त लगाया करती थी, महिलाओं की पोशाक पर सख़्त नियम लागू करने या शराब, संगीत, प्रार्थना-समय बंद करने और पुरुषों और महिलाओं के मिलने पर प्रतिबंध लगाने की उनकी क्षमता को कम करती है।

सऊदी सरकार ने सिनेमाघरों पर 35 साल से लगी रोक को ख़त्म कर दिया है, 2030 तक 300 से ज़्यादा मूवी थिएटर खोलने की योजना है।

सऊदी अरब ने महिलाओं के कार चलाने पर दशकों पुराने प्रतिबंध को भी हटा दिया है।

एक शाही फ़रमान से रेस्तरां में संगीत चलाने की अनुमति मिल गयी है,क्योंकि अब राज्य के चारों ओर अब सार्वजनिक मनोरंजन फलता-फूलता है और महिला-पुरुषों के मिलने-जुलने पर प्रतिबंध में ढिलाई दी गयी है।

पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए एक नई पर्यटक वीजा व्यवस्था शुरू की गयी है। आगंतुकों के लिए एक मामूली ड्रेस कोड निर्धारित किया गया है, जिससे महिलाओं को सर्वांग ढगने वाली वस्त्र पहनने की आवश्यकता समाप्त कर दी गयी है। विदेशी पुरुषों और महिलाओं को बिना यह साबित किए कि वे पति-पत्नी हैं, एक साथ होटल के कमरे किराए पर लेने की अनुमति है।

क्राउन प्रिंस ने राज्य की न्यायिक प्रणाली की दक्षता और अखंडता में सुधार के लिए डिज़ाइन किये गये नये मसौदा क़ानूनों को मंजूरी देने की योजना बनायी है, जो अंततः एक पूरी तरह से संहिताबद्ध क़ानून बनने की ओर अग्रसर है।