Hindi News

indianarrative

ब्रिटेन की प्रवासी समस्या से हताश यूरोप,अलग सोचने की चुनौती

अफ़्रीकी प्रवासी (फ़ोटो: Twitter/@Mousacasse1)

Migration To Europe:यूरोपीय देशों ने प्रवासियों को बाहर रखने की कोशिश में खुद को उलझा लिया है।

यूरोपीय संघ (ईयू) ने पिछले हफ़्ते उत्तरी अफ़्रीकी देश ट्यूनीशिया के साथ एक “रणनीतिक और व्यापक साझेदारी” समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें वह ट्यूनीशिया को अपनी सीमाओं को मज़बूत करने और यूरोप में प्रवासन से जूझने के बदले में 1.1 अरब डॉलर की सहायता देगा। इस समझौते से जलवायु परिवर्तन में सहायता के साथ-साथ देश में अर्थव्यवस्था को स्थिर करने की उम्मीद है।

यूरोपीय संघ के देशों की यात्रा करने की योजना बना रहे प्रवासियों और शरणार्थियों के लिए ट्यूनीशिया एक प्रमुख मार्ग है। यह सौदा ऐसे समय में हुआ है, जब यूरोप रिकॉर्ड प्रवासन स्तर के साथ-साथ नावों के डूबने की घटनाओं का सामना कर रहा है, जिससे समुद्र में सैकड़ों लोग मारे जा रहे हैं।

इस समझौते के सूत्रधार राष्ट्रपति उर्सुला वॉन डेर लेयेन, डच प्रधानमंत्री मार्क रुटे और इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी हैं, जिन्होंने ट्यूनीशियाई राष्ट्रपति कैस सैयद के साथ समझौते पर चर्चा करने के लिए इस महीने की शुरुआत में ट्यूनीशिया की यात्रा की थी।

राष्ट्रपति सईद एक ऐसे देश का नेतृत्व कर रहे हैं, जो आर्थिक पतन के कगार पर है और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से राहत पैकेज की प्रतीक्षा कर रहा है। 2011 की क्रांति ने अर्थव्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है, इसके बाद 2015 में आतंकवादी हमले, 2020 में कोविड-19 महामारी और सूखा ने बाक़ी कोर क़सर पूरी कर दी है।

भले ही लेयेन, रुटे और मेलोनी अपने समझौते को यूरोपीय देशों के लिए अपने-अपने देशों में प्रवासियों के प्रवाह से निपटने के लिए एक पथप्रदर्शक के रूप में प्रचारित कर रहे हैं, लेकिन मानवाधिकार संगठनों द्वारा इसकी आलोचना की गयी है। राष्ट्रपति सईद को समर्थन देने के कारण इस समझौते की आलोचना हो रही है, जिन्होंने कथित तौर पर अपने देश में ग़ैर-लोकतांत्रिक माहौल को बढ़ावा दिया है। प्रवासियों के लिए मार्गों को अवरुद्ध करने और शरण चाहने वालों को शरण के अधिकार से वंचित करने के लिए भी इस सौदे की निंदा की जा रही है।

ब्रिटेन भी इस देश में नाव लैंडिंग और अवैध आप्रवासियों के प्रवाह को रोकने के लिए एक संभावित समाधान से दूसरे संभावित समाधान की ओर छलांग लगा रहा है। उनमें से अधिकांश विचारों को मानवाधिकार अधिवक्ताओं द्वारा बक़वास कर दिया गया है।

सरकार का अनुमान है कि सिर्फ़ एक साल में ब्रिटेन में 1,053 छोटी नावों से क़रीब 45,000 लोग पहुंचे हैं।

शरण चाहने वालों को रोकने के अपने नवीनतम कार्यों में से एक में ब्रिटिश सरकार ने बिब्बी स्टॉकहोम नामक एक विशाल इंजन रहित नाव किराये पर ली है, जहां वह ब्रिटेन में शरण चाहने वाले 500 लोगों को समायोजित करने की योजना बना रही है। शरण के लिए आवेदनों पर कार्रवाई जबतक चलेगी ,तबतक ये लोग  उसी नाव पर ही रहेंगे।

इस नाव को डोरसेट में पोर्टलैंड बंदरगाह तक खींच लिया गया है और इसे केबिन, संलग्न बाथरूम, चारपाई-बिस्तर, गलियारे, सामान्य क्षेत्र, प्रार्थना कक्ष, भोजन कक्ष, एक जिम और अन्य स्थानों के साथ एक होटल के रूप में फिर से तैयार किया गया है।

इस नाव में भोजन के साथ-साथ स्वास्थ्य की भी सुविधायें हैं, इसकी तुलना अक्सर तैरती हुई जेल से की जाती है। रहने की स्थिति, तंग क्वार्टरों और संकटग्रस्त लोगों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार न करने को लेकर विभिन्न हलकों से अस्वीकृति को आमंत्रित करने के अलावा, स्थानीय निवासी भी इतने सारे लोगों को  लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं।

प्रवासियों के प्रबंधन के लिए यह नाव योजना ब्रिटिश सरकार की दूसरी विवादास्पद नीति है। पहले वाली नीति के तहत शरण चाहने वालों को मध्य-पूर्व अफ़्रीका में रवांडा ले जाना, ब्रिटिश अदालत ने इसे ग़ैरक़ानूनी क़रार दिया था। इस साल जून में कोर्ट ने कहा था कि ब्रिटेन से निर्वासित किए जाने वाले प्रवासियों के लिए रवांडा को तीसरा सुरक्षित देश नहीं माना जा सकता।

ब्रिटेन की रवांडा नीति को शुरू से ही आलोचना का सामना करना पड़ा है, जब पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस विचार की शुरुआत की थी।

अदालत ने यहां तक कहा था कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि शरण चाहने वालों को रवांडा से उनके अपने देशों में निर्वासित किया जा सकता है, जहां उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ सकता है।

यूरोप और ब्रिटेन, अफ़्रीका और एशिया के संघर्ष और ग़रीबी-ग्रस्त क्षेत्रों से शरणार्थियों के यूरोप में आने के कारण प्रवासन के साथ-साथ आत्मसातीकरण के मुद्दों से असफल रूप से जूझ रहे हैं। 2021 में अफ़ग़ान युद्ध की समाप्ति ने संकट को और बढ़ा दिया था, क्योंकि तालिबान के प्रतिशोध से भयभीत अफ़ग़ान, ब्राजील, अमेरिका और कनाडा तक दुनिया भर में चले गये थे।