अंतर्राष्ट्रीय

अपने दोस्त तक का सगा नहीं है चीन, kim Jong को ड्रैगन से बचने के लिए अमेरिकी सेना की जरूरत

Kim Jong Needs US Army: चीन वो देश है जिसने हर किसी के नाक में दम कर रखा है। जो उससे सीमा साझा करते हैं वो तो परेशान ही हैं साथ ही दुनिया के बाकी देश भी ड्रैगन की हरकतों से परेशान हैं। चीन और उत्तर कोरिया के बीच अब तक लोगों को यही लगता था कि, ये अच्छे दोस्त हैं। लेकिन, एक बड़ा खुलासा हुआ है कि, किम जोंग उन को खुद चीन से बचने के लिए अमेरिकी सेना (Kim Jong Needs US Army) की जरूरत है। दरअसल, अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अपनी नई किताब ‘नेवर गिव एन इंच, फाइटिंग फॉर द अमेरिका आई लव’ में कई सारे दावे किये हैं। जिसमें से एक यह भी दावा है। पोम्पियो ने कहा है कि, उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग-उन ने उनसे एक बार कहा था कि चीन के प्रभुत्व से बचाव के लिए उन्हें दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सेना (Kim Jong Needs US Army) की जरूरत है।

झूठ बोलता है चीन
पूर्व अमेरिकी विदेश सचिव ने कहा है कि उत्तर कोरियाई नेता दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सेना की मौजूदगी से बिल्कुल भी चिंतित नहीं हैं। उन्होंने यह दावा 30 मार्च, 2018 को अमेरिका-उत्तर कोरिया शिखर सम्मेलन से पहले प्योंगयांग में किम जोंग के साथ अपनी पहली मुलाकात और उस दौरान हुई बातचीत के आधार पर किया है। पोम्पेओ ने दावा किया कि जब उन्होंने किम जोंग से कहा कि चीन बार-बार अमेरिका से यह कहता है कि उत्तर कोरियाई नेता चाहते हैं कि अमेरिकी सेना दक्षिण कोरिया से हट जाए, तो किम जोंग ने कहा कि चीन इस बारे में झूठ बोल रहा है और उन्हें चीन से बचने के लिए दक्षिण कोरिया अमेरिकी सेना की जरूरत है, जिससे तिब्बत और शिनजियांग जैसे मुद्दों का निस्तारण हो सके।

भारत और पाकिस्तान परमाणु हमले के बेहद करीब थे
बता दें कि, माइक पोम्पिओ ने अपनी इसी किताब में ये भी दावा किया है कि, पुलवामा के बदले बालाकोट स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान इतना बौखला गया था कि, वो भारत पर परमाणु हमले की तैयारी कर रहा था। उस वक्त तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उन्हें बताया था कि, पाकिस्तान फरवरी 2019 में बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के बाद परमाणु हमले की तैयारी कर रहा है। यह सुनकर वह दंग रह गए थे। पोम्पिओ के मुताबिक, सुषमा स्वराज ने कहा था कि इसको देखते हुए भारत भी आक्रामक प्रतिक्रिया की तैयारी कर रहा है। पोम्पियो ने कहा कि यह घटना तब हुई, जब वह 27-28 फरवरी को अमेरिका-उत्तर कोरिया शिखर सम्मेलन के लिए हनोई में थे। इसके बाद उनकी टीम ने इस संकट को टालने के लिए भारत और पाकिस्तान के साथ रात भर काम किया था।

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आईएन ब्यूरो

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