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India की दहाड़ से जमीन पर आया अमेरिका! Russia बचाने नहीं आएगा वाले बयान पर कहा- मुझे मा…

भारत की दहाड़ से जमीन पर आया अमेरिका

यूक्रेन जंग को लेकर अमेरिका और नाटो ने साफ कहा है कि जो भी देश रूस का साथ देंगे या उसके साथ व्यापार करेंगे वो उस देश को पूरी तरह से बर्बाद कर देंगे। जिसके बाद से जितने भी छोटे-मोटे देश हैं जो रूस संक व्यापार करते थे उन्होंने नाता तोड़ दिया है। भारत और रूस की दोस्ती पुरानी है और अमेरिका चाहता है कि इंडिया पुतिन के खिलाफ बोलें। लेकिन, भारत को क्या करना है यह अच्छे से पता है। भारत ने रूस से जब तेल खरीदा तो अमेरिका भन्ना उठा और धमकी देने लगा कि भारत को इसका अंजाम भुगतना पड़ सकता है। इसके साथ ही राष्ट्रपति जो बाइडन के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह जब भारत आए थे तो यहां उन्होंने धमकी देते हुए कहा था कि, अब अगर भारत पर चीन हमला करता है तो अब रूस बचाने नहीं आएगा। इस बर अमेरिका अब बैकफुट पर आते नजर आ रहा है।
 
अमेरिका के इस टिप्पणी को लेकर भारतीय-अमेरिकी समुदाय का मानना है कि वह ठीक नहीं थी। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच एक अमेरिकी सलाहकार दलीप सिंह पिछले दिनों भारत यात्रा पर आए थे, तभी उन्होंने रूस को लेकर भारत का टिप्पणी की थी। अब भारतीय-अमेरिकी समुदाय के एक प्रमुख नेता ने मंगलवार को कहा कि अमेरिकी सलाहकार दलीप सिंह द्वारा हाल ही में उनके नई दिल्ली दौरे के दौरान की गई की वह टिप्पणी सही नहीं थी, जिसमें उन्होंने भारत को आगाह किया था कि वह इस बात की उम्मीद न रखे कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कुछ होने पर रूस उसके बचाव में आएगा।
 
भारतीय-अमेरिकी फोरम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. संपत शिवांगी ने पिछले हफ्ते हुई यात्रा के बारे में कहा कि उम्मीद है कि इससे भारत-अमेरिका संबंधों पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा। मिसिसिप्पी में रहने वाले शिवांगी ने एक बयान जारी कर कहा, भारत में कई लोगों और भारतीय-अमेरिकियों को लगता है कि दलीप सिंह की टिप्पणियां सही नहीं थीं। उम्मीद है कि उनकी टिप्पणी से रिश्तों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
 
उन्होंने कहा कि, भारत क्वॉड में अमेरिका का प्रमुख साझेदार है। आने वाले दिनों में दोनों देशों में मजबूत संबंध और पारस्परिक सम्मान व दोस्ती बनी रहेगी। बता दें कि, भारत में अपनी यात्रा के दौरान दलीप सिंह ने कहा था कि, अगर चीन एलएसी का उल्लंघन करता है तो भारत यह उम्मीद न रखे कि रूस उसके बचाव में उतरेगा, क्योंकि रूस और चीन के बीच अब साझेदारी की कोई सीमा नहीं है।