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ख़ौफ़ के साये में पाकिस्तानी ईसाई, प्रधानमंत्री शरीफ़ की भी आतंकियों की हां में हां

पाकिस्तान में स्वीडन कुरान घटना से भयभीत ईसाई (फ़ोटो: @ PastorAmanat/Twitter)

राहुल कुमार

सुन्नी आतंकवादी समूह लश्कर-ए-झांगवी (एलईजे) द्वारा देश में समुदाय और उसके चर्चों पर आत्मघाती हमलों की धमकी के बाद भयभीत ईसाइयों ने पाकिस्तान सरकार से सुरक्षा की मांग की है।

पिछले तीन दशकों में शिया मुसलमानों पर क्रूर हमलों के लिए जाने जाने वाले सुन्नी चरमपंथी संगठन एलईजे ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह ईद पर स्वीडन में कुरान जलाने पर वैश्विक हंगामे के बाद पाकिस्तान में चर्चों पर हमला करेगा।

पाकिस्तान के कैथोलिक बिशप सम्मेलन के नईम यूसुफ़ गिल ने कहा कि इस समुदाय ने अधिकारियों से इस रविवार को आतंकवादी समूह एलईजे द्वारा जारी ख़तरे के ख़िलाफ़ सतर्क रहने का अनुरोध किया है।

 

ईसाई वेबसाइट-यूनियन ऑफ़ कैथोलिक एशियन न्यूज़ (यूसीएएन) ने गिल के हवाले से कहा: “एक धार्मिक अल्पसंख्यक के रूप में हम भाईचारे और शांति से रहते हैं और हमने हमेशा बहुसंख्यकों का समर्थन किया है। हम संवेदनशील क़ानूनों का उल्लंघन करने की कल्पना नहीं कर सकते।” राष्ट्रीय न्याय और शांति आयोग के कार्यकारी निदेशक गिल ने कहा कि पाकिस्तान में चर्च ने स्वीडन में कुरान के अपमान की निंदा की है।

स्वीडन में एक इराक़ी शरणार्थी सलमान मोमिका द्वारा पिछले शुक्रवार को ईद के मुस्लिम त्योहार पर स्टॉकहोम में एक मस्जिद के बाहर कुरान जला दिया गया था। आग में घी डालने के लिए मोमिका ने घोषणा की है कि वह 10 दिनों के भीतर एक और कुरान जलाने की योजना बना रहा है, जिससे पूरे मुस्लिम जगत में रोष और उन्माद फैल गया है।

इस बीच पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में ईसाई अपने संस्थानों – चर्च, पैरिश, स्कूल और कॉन्वेंट के लिए सुरक्षा की मांग करने के लिए पुलिस अधिकारियों से मिल रहे हैं।

वेटिकन न्यूज़ ने बताया कि फ़ैसलाबाद डायोकेसन कमीशन फ़ॉर इंटरफेथ डायलॉग एंड इकोमेनिज्म के निदेशक फ़ादर ख़ालिद रशीद एएसआई ने मदीना टाउन में पुलिस अधिकारियों से मुलाक़ात की, जो कम से कम 4,000 ईसाइयों की मेज़बानी करता है।

उन्होंने 2009 में ईसाइयों पर हुए पिछले हमलों को याद किया, जिसमें एलईजे समर्थकों ने पंजाब में अल्पसंख्यक समूह के घरों पर हमला किया था, जिसमें कुरान को अपवित्र करने के आरोप में कम से कम 10 कैथोलिक ईसाइयों की हत्या कर दी गयी थी।

बमुश्किल दस दिन पहले पाकिस्तान में कट्टरपंथियों ने दो दिन में दो बार सिख समुदाय को निशाना बनाया था।

इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान में अल्पसंख्यक आतंक में रहते हैं, क्योंकि उन्हें नियमित रूप से ईशनिंदा से संबंधित आरोपों का सामना करना पड़ता है, जिनमें से कई क़ानून अनुचित हैं, जिसके तहत लोगों को पीट-पीटकर मार डाला जाता है और आग लगा दी जाती है। ईशनिंदा का अर्थ है कुरान का अपमान, पैग़म्बर का कथित अपमान और अल्लाह का अनादर।

लगभग 98 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले पाकिस्तान में दुनिया का सबसे सख़्त ईशनिंदा क़ानून है, जिसके साबित होने पर मौत की सज़ा का प्रावधान है।

मंगलवार को ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में हुए विरोध प्रदर्शनों ने ईसाइयों के डर को और बढ़ा दिया है। प्रदर्शनकारियों ने पेशावर प्रेस क्लब के बाहर स्वीडिश झंडा जलाया और मांग की कि पाकिस्तान कुरान घटना पर स्वीडन के साथ राजनयिक संबंध ख़त्म कर दे।

आतंकी संगठनों और कट्टरपंथी संगठनों के नक्शेक़दम पर चलते हुए शरीफ़ सरकार ने भी इस विवाद में कूदने का फ़ैसला किया। प्रदर्शनकारियों को शांत करने और ईसाइयों को मारने की खुलेआम धमकी देने वाले आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने के बजाय, शरीफ़ ने ‘कुरान की पवित्रता’ को बनाये रखने और स्वीडन के ख़िलाफ़ सरकार की नाराज़गी दिखाने के लिए शुक्रवार को देशव्यापी विरोध का आह्वान किया।

देश के गहरे राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संकट में फंसे होने के बावजूद प्रधानमंत्री को स्वीडन की इस घटना पर बैठक करने का समय मिल गया।

एक बयान में शरीफ़ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन) ने कहा कि शुक्रवार, 7 जुलाई को यौम-ए-तकद्दुस कुरान (पवित्र कुरान की पवित्रता को बनाये रखने का दिन) के रूप में मनाया जायेगा। शरीफ़ ने राष्ट्र और सभी राजनीतिक दलों से स्वीडन के विरोध में प्रदर्शन में भाग लेने और देश भर में रैलियां निकालने का भी आह्वान किया।

चूंकि प्रधानमंत्री स्वयं अल्पसंख्यक समुदाय की सहायता के लिए आगे आने के बजाय दंगा भड़काने वाले बन गये हैं, इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पाकिस्तानी ईसाई हमलों के डर में रहते हैं।