लाहौर स्थित सुन्नी आतंकवादी समूह लश्कर-ए-झांगवी (एलईजे) ने घोषणा की है कि वह पिछले हफ़्ते स्वीडन में कुरान जलाने की घटना के प्रतिशोध में पाकिस्तान में ईसाइयों और चर्चों पर हमला करेगा।
समूह ने कहा कि वह पाकिस्तान में अल्पसंख्यक सदस्यों को निशाना बनाकर आत्मघाती हमले भी शुरू करेगा। कहा गया है कि वह ईद पर स्वीडन में हुई कुरान घटना का बदला लेने के लिए ईसाई समुदाय पर हमला करने के लिए इस क्षेत्र में समान विचारधारा वाले आतंकवादी समूहों के साथ काम करेगा।
एक बयान में एलईजे के प्रवक्ता नसीर रायसानी ने धमकी दी, “पाकिस्तान में कोई भी चर्च या ईसाई सुरक्षित नहीं रहेगा।” आतंकवादी संगठनों से अल्पसंख्यक समुदाय को ख़तरे के बारे में पाकिस्तानी सरकार या उसकी एजेंसियों की ओर से किसी तरह की कोई टिप्पणी नहीं की गयी।
TKD MONITORING:
In the wake of the Quran burning incident in Sweden several Pakistani religio-political parties have called for widespread protests across the country.
Jamaat-e-Islami and Rah-e-Haqq have announced their own separate protests in Islamabad and Peshawar respectively pic.twitter.com/UoeQ8VdQMZ— The Khorasan Diary (@khorasandiary) July 3, 2023
यह आतंकी संगठन 1990 के दशक से पाकिस्तान में शिया मुसलमानों के ख़िलाफ़ अपने क्रूर अभियान के लिए व्यापक रूप से जाना जाता है। इसने न केवल मस्जिदों और शिया जुलूसों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर हिंसक हमले किये हैं, बल्कि प्रमुख शिया हस्तियों को निशाने पर रखते हुए उनकी हत्यायें भी की हैं।
अल-क़ायदा द्वारा 9/11 के हमलों के बाद अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को एक सहयोगी के रूप में आतंक के ख़िलाफ़ युद्ध शुरू करने के बाद यह फिर से सामने आया था। आतंक के ख़िलाफ़ युद्ध में शामिल होने के लिए पाकिस्तान को दंडित करने के लिए एलईजे ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ आतंकवादियों का समर्थन करना शुरू कर दिया। अफ़-पाक क्षेत्र में 20 साल पुराने रौ में एलईजे ने इस क्षेत्र में सक्रिय लगभग सभी दूसरे आतंकवादी समूहों के साथ अपना नेटवर्क बना लिया है।
बताया जाता है कि एलईजे ने अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका और नाटो के हमले को लेकर न केवल ईसाई समुदाय, बल्कि पाकिस्तान में पश्चिमी राजनयिकों को भी निशाना बनाया है।
पाकिस्तान में व्यवस्थित रूप से भेदभाव का शिकार होने वाले ईसाइयों के लिए एलईजे की यह धमकी सताये गये अहमदी मुस्लिम समुदाय पर ईद के हमलों के बाद आयी है। पाकिस्तान में ग़ैर-मुस्लिम माने जाने वाले अहमदियों ने अपनी ईद डर के साये में बिताये, क्योंकि स्थानीय पुलिसकर्मियों ने यह जांच करने के लिए उनके घरों पर छापा मारा कि वे त्योहार मना रहे हैं या नहीं।
इस्लामी कट्टरपंथी समूह तहरीक़-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) ने पुलिस से शिकायत की थी कि अहमदी मुसलमान अपने घरों में जानवरों की बलि देकर ईद मना रहे हैं। पुलिस ने अहमदी समुदाय के लोगों को चेतावनी दी और साथ ही उनके घरों पर छापेमारी की और कई अहमदियों को ईद मनाने के आरोप में हिरासत में ले लिया। पाकिस्तान के पंजाब में पुलिस ने बलि में इस्तेमाल किये गये मांस और औज़ारों को भी ज़ब्त कर लिया।
पाकिस्तान ने मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के मौन समर्थन से अपनी जनता के बीच बढ़ती असहिष्णुता देखी है। कुरान जलाने, पैग़ंबर का अपमान करने और धर्म का अनादर करने जैसे फ़र्ज़ी आरोपों पर ईशनिंदा के मामलों के कारण देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ-साथ विदेशियों की भी पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी है। ईशनिंदा के कुछ व्यापक रूप से सामने आये मामलों में वह चीनी इंजीनियर का मामला शामिल है, जो एक संयुक्त चीन-पाक परियोजना पर काम कर रहा था, जिसे सेना ने समय रहते बचा लिया, साथ ही श्रीलंकाई फ़ैक्ट्री प्रबंधक को उसकी अपनी ही फ़ैक्टरी के कर्मचारी ने पीट-पीट कर मार दिया।