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अब Pakistan में मचेगा हाहाकार,समझिए डिफॉल्ट होने के बाद कंगाल मुल्क का असली खेल

पाकिस्तान (Pakistan) आज जिस हाल में है वो उसका खुद का बनाया हुआ है। मुल्क जल्द ही डिफॉल्ट होने की कगार पर पहुंच गया है। पाकिस्तान के पास खाने के लाले पड़े हुए हैं। उसके कई बड़े उद्योग बंद होने के कगार पर हैं। खासकर टेक्स्टाइल इंडस्ट्री कुछ ही दिनों में बंद हो सकती है। इसके साथ ही अन्य कई क्षेत्रों का भी यही हाल है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार गिरते-गिरते अब पाताल तक पहुंच गया है। मुल्क के पास सिर्फ तीन हफ्ते के आयात का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा है। यही नहीं अगर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से जल्द मदद नहीं मिली तो पाकिस्तान डिफॉल्ट भी हो सकता है। डिफॉल्ट होने की स्थिति में पाकिस्तान के पास अपने पुराने कर्जों को चुकाने के लिए पैसे नहीं बचेंगे। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था के चरमराने का खतरा और ज्यादा बढ़ जाएगा।

गौरतलब है, पाकिस्तान में विदेशी निवेश पहले ही काफी कम है। डिफॉल्ट होने की सूरत में यह लगभग खत्म ही हो जाएगा। इसका सबसे बड़ा नुकसान पाकिस्तानी मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री को होगा, जो सामान को विदेश निर्यात कर देश के लिए विदेशी मुद्रा जुटाते हैं। पाकिस्तान (Pakistan) ने हाल में ही पेट्रोल के दाम में 35 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की है। यह आईएमएफ ने मदद करने की पहली शर्त थी। बाकी की शर्तों में टैक्स बढ़ाना, भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करना भी शामिल हैं। पाकिस्तान के इस फैसले के बाद संभावना है कि उसे जल्द ही आईएमएफ की मदद मिल सकती है। लेकिन, क्या होगा अगर पाकिस्तान डिफॉल्ट हो जाए…

पहला दिन होगा कुछ ऐसा

पाकिस्तानी आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, इस बात की संभावना बेहद कम है कि पाकिस्तान डिफॉल्ट होगा। इसके बावजूद अगर पाकिस्तान डिफॉल्ट होता है तो पहले दिन देश में गतिरोध काफी तेज रहेगा। सरकार के लिए यह आपातकालीन स्थिति होगी और वे मौजूदा हालात को समझने और उसका हल खोजने का प्रयास करेंगे। कर्ज देने वाले देश और संस्थान कर्ज या समर्थन के आकार पर पाकिस्तान के प्रति अपने दृष्टिकोण पर काम करना शुरू कर देंगे। बाजार और व्यवसाय में बड़ी गिरावट की शुरुआत होगी और कई कंपनियां, फैक्ट्रीज और सर्विसेज खुद को डिफॉल्ट घोषित करना शुरू कर देंगे।

मीडिया पर नियंत्रण हासिल करेगी सरकार

पाकिस्तान सरकार मीडिया में देश के डिफॉल्ट घोषित होने के बाद बनी धारण और राय को नियंत्रित करने का प्रयास करेगी। उनका मकसद पैनिक को आम जनता में फैलने से रोकने की होगी। उन्हें शांत करने के लिए कर्ज देने वाले देशों और संस्थाओं के साथ संपर्क शुरू किया जाएगा। इसका समाज पर भी गंभीर प्रभाव देखने को मिलेगा। कीमतों में अनुपातहीन वृद्धि देखने को मिल सकती है, विशेष रूप से आयातित वस्तुओं की। कुप्रबंधन या पेट्रोल के कम स्टॉक से अराजकता बढ़ सकती है।

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पहला महीना होगा कुछ ऐसा

पहले महीने में आयात बंद होने, डेवलेपमेंट फंड पर प्रतिबंध होने, आवश्यक सार्वजनिक क्षेत्र के खर्च में कमी, व्यापार बंद होने और औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों से भारी छंटनी के साथ आर्थिक मंदी अपना असर दिखाना शुरू कर देगी। अनिश्चितता के कारण, बहुत से नागरिक अपनी बचत और निवेश को बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली से बाहर निकालने की कोशिश करेंगे। यह कुछ वित्तीय संस्थानों के बंद होने सहित आर्थिक स्थिति को और भी खराब कर देगा।

पहली तिमाही

डिफॉल्ट होने की वजह से अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान की भयावहता का आकलन करने के मामले में पहली तिमाही काफी चुनौतीपूर्ण होगी। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि आर्थिक संकट (Economic Crisis) और सामाजिक अशांति को व्यापक रूप से महसूस किया जाएगा। कुछ राजनेताओं को इस अशांति को बढ़ाने और नकारात्मक भावना का उपयोग करके और सार्वजनिक विद्रोह का आग्रह करके अपनी शक्ति प्रकट करने का अवसर प्रदान करेगा। आर्थिक मोर्चों पर पूंजी का निकास देश से बाहर की तरफ शुरू हो जाएगा। इसी के साथ पाकिस्तान की जीडीपी काफी कम हो जाएगी। जबकि कुछ उद्योग और सेवाएं अपनी गतिविधियों को फिर से शुरू कर देंगी। आयात पर निर्भर क्षेत्रों को अभी और इंतजार करना होगा। ऊर्जा की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण, उत्पादन लागत बहुत अधिक हो जाएगी और कई क्षेत्रों में इसे वहन करने की क्षमता नहीं होगी।

आईएन ब्यूरो

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