पाकिस्तान (Pakistan) इस समय अलग-अलग मोर्चों पर एक साथ कई परेशानियों से जूझ रहा है। मगर इन सब चीजों बढ़ते कर्ज के बोझ की कतई अनदेखी नहीं की जा सकती क्योंकि, यहां महंगाई चरम पर है और विदेशी मुद्रा भंडार गिर चुका है। जी हां, पाकिस्तान इस समय आर्थिक बदहाली की कगार तक पहुंच गया है और इसे किसी चमत्कार का इंतजार है। ऐसे में पाकिस्तान ऐसे मसीहे की तलाश कर रहा है जो इसकी लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को दुरुस्त कर सके। यूं तो कंगाली की दहलीज पर खड़े पाकिस्तान को चीन विकास बैंक से 700 मिलियन डॉलर का कर्ज मिला है। इससे पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में 20 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान है। ये कर्ज ऐसे समय में मिला जब पाकिस्तान अपने 2019 के बेलआउट की शर्तों को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ एक समझौता करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
चीनी कर्ज पाकर खुश है शहबाज सरकार
पाकिस्तानी वित्त मंत्री इशाक डार ने पिछले हफ्ते ही आईएमएफ (IMF) की कड़ी शर्तों को पूरा करने के लिए देश की नेशनल असेंबली में राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से एक धन विधेयक पारित किया था। इसमें पाकिस्तानी अवाम पर टैक्स के बोझ को बढ़ाने का जिक्र था। इशाक डार ने चीन से कर्ज की नई किश्त का ऐलान होते ही खुश हो गए। उन्होंने ट्वीट किया कि यह राशि इस सप्ताह स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान को मिलने की उम्मीद है, जो इसके विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ा देगा। हालांकि, इसे पाकिस्तान के लिए अच्छा नहीं माना जा रहा है। मालूम हो पाकिस्तान पर पहले से ही चीन का 100 बिलियन डॉलर का कर्ज है। पाकिस्तान के पास चीनी कर्ज की पुरानी राशि की किश्त चुकाने तक के लिए पैसा नहीं है। ऐसे में नए-नए कर्ज लेने से पाकिस्तान को तत्काल तो राहत मिल जाएगी, लेकिन लंबे समय तक मुसीबतें झेलनी पड़ेगी।
चीन के कर्ज से पाकिस्तान को नुकसान
पाकिस्तान इससे पहले भी चीन से उधार लेता रहा है। पाकिस्तान की कुल कर्ज में चीन का हिस्सा 30 फीसदी से अधिक है। इसके अतिरिक्त, चीन अन्य कर्जदाताओं की तुलना में अधिक ब्याज दर लेता है। पाकिस्तानी वाणिज्यिक बैंक चीनी बैंकों से 5.5% से 6% ब्याज पर उधार ले रहे हैं, जबकि अन्य ऋणदाता लगभग 3% पर धन की पेशकश करते हैं। वित्तीय वर्ष 2021-2022 में, पाकिस्तान ने चीन के 4.5 बिलियन डॉलर कर्ज की एवज में 150 मिलियन डॉलर का ब्याज चुकाया है। यही वजह है कि चीन से मिलने वाला नया कर्ज पाकिस्तान के कर्ज बोझ को और बढ़ा देगा।
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पाकिस्तान से सख्ती से पैसा वसूल रहा चीन
अब चीन पैसा वसूलने के मामले में काफी ज्यादा अकड़ में है। बीजिंग ऊर्जा क्षेत्र में पाकिस्तान के साथ सौदे करके अपने आर्थिक लाभ को बढ़ा रहा है। इसके अलावा, चीन ने दासू बांध आतंकी हमले में मारे गए इंजीनियरों के परिवारों के लिए मुआवजे का इस्तेमाल पाकिस्तान से रियायतें लेने के लिए सौदेबाजी के हथियार के रूप में किया है। चीन की इस सौदेबाजी से पाकिस्तान तो फिलहाल के लिए राहत मिल जाएगी लेकिन यह लंबे समय में नई समस्या जरूर खड़ी करेगा।
Pak का होगा श्रीलंका जैसा हाल
चीन की कर्ज कूटनीति ने अतीत में श्रीलंका को तगड़ा धक्का दिया है। श्रीलंका ने बंदरगाहों, राजमार्गों और बिजली संयंत्रों जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए चीन से भारी उधार लिया। बाद में हालात इतने गंभीर हो गए कि श्रीलंका चीनी कर्जों को चुकाने में असमर्थ हो गया। इसी कारण चीन ने 99 साल की लीज पर श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को अपने नियंत्रण में ले लिया। एक्सपर्ट्स का कहना है कि श्रीलंका और अन्य देश में चीनी कर्ज देना बीजिंग की बड़ी रणनीति का हिस्सा हैं।
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