रूस इस वक्त लगातार यूक्रेन में गोले बरसा रहा है जिसके चलते हालत बद से बदतर होती चली जा रही है। इसके साथ ही रूस ने न्यूक्लियर अटैक का भी संकेत दे दिया है जिसके बाद से दुनिया दहशत में है। इस बीच भारत सरकार लगातार अपने नागरिकों और छात्रों को यूक्रेन से निकाल रही है और यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने मंगलवार को छात्रों सहित सभी भारतीयों को उपलब्ध ट्रेन या किसी अन्य माध्यम से आज तत्काल कीव छोड़ने का सुझाव दिया था। इस बीच एक बड़ी खबर आ रही है वो यह कि पाकिस्तानी अपनी जान बचाने के लिए भारतीय तिरंगा हाथों में लेकर घूम रहे हैं ताकि वो किसी तरह से यूक्रेन से निकल सके।
यूक्रेन में फंसे विदेशी नागरिक और छात्र, हर देश के चिंता का कारण बन चुके हैं। ऐसे में इन विदेशियों का पनाहगार भारत का तिरंगा बना है। भारतीय तिरंगा न सिर्फ सुरक्षा की गारंटी बना है, बल्कि उन्हें महफूज तरीके से यूक्रेन पार कराने में भी मदद कर रहा है। यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्रों ने ऐसी ही खबर सुनाई है, उनका कहना है कि जान बचाने के लिए पाकिस्तानी और तुर्की के छात्र अपने देश के बजाए भारत के तिरंगे की शरण ले रहे हैं। यूक्रेन से रोमानिया के बुखारेस्ट शहर पहुंचे भारतीय छात्रों ने कहा कि, राष्ट्रिय तिरंगे ने उन्हें और साथ ही कुछ पाकिस्तानी और तुर्की छात्रों को भी सुरक्षित निकालने में मदद की। ओडेसा से आए एक छात्र ने कहा कि, हमसे कहा गया कि तिरंगा साथ ले चलने से हमें कोई समस्या नहीं होगी। इसलिए हम सीधे बाजार गए और वहां से छह स्प्रे पेंट खरीदे। दूसरी दुकान से परदा लिया। इसके बाद परदा काटकर स्प्रे की मदद से दो तिरंगे बना।
इसके आगे भारतीय छात्रों ने बताया कि, सिर्फ पाकिस्तान के ही नागरिक नहीं बल्कि तुर्की के भी छात्र अपनी जान बचाकर यूक्रेन से निकलने के लिए भारतीय तिरंगे का सहारा ले रहे हैं। वे अपने देश के बजाए भारत का तिरंगा इस्तेमाल कर रहे हैं। खुद को भारीय बताकर ही वे यूक्रेन से निकल पा रहे हैं। एक छात्र ने बताया कि, हमने ओडेसा से बस बुक की और माल्डोवा सीमा पर आ गए। इस दौरान एक बार हमारा सैनिकों से सामना हुआ। हमले पहले से ही बस के बाहर दो तिरंगे लगा रखे थे, जैसे ही सैनिकों ने तिरंगे देखे उन्होंने गोलीबारी रोक दी और हमें जाने दिया। छात्रों ने कहा कि, माल्डोवा पहुंचने के बाद हमें किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। यहां पर भारतीय दूतावास ने पूरी व्यवस्था की थी। हमारे लिए खाने से लेकर सभी जरूरत का सामान पहले से ही उपलब्ध था।
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