पाकिस्तान वो मुल्क है जो अलग तो भारत से ही हुआ है लेकिन, उसका कोई भी काम भारत के बिना चलता नहीं है। भारत के हर मामले में पाकिस्तान टांग अड़ाने से बाज नहीं आता है। जिस जम्मू-कश्मीर का राग वो दुनिया के सामने अलापता है उसी घाटी में आतंक को उसी ने फैलाया था। अब जब सफाया किया जा रहा है तो वो बौखला उठा है। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार ऐसा रणनीति बनाया है कि एक झटके में पाकिस्तान को अपनी औकात या आ गई। दरअसल, साल 2019 में आर्टिकल 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रविवार को जम्मू-कश्मीर गए थे। इसी दौरान उन्होंने घाटी में विकास की धारा को तेज करते हुए 20 हजार करोड़ रुपए का तोहफा दिया। जिसमें कई योजनाएं शामिल हैं। इसी दौरान उन्होंने रतले और क्वार जलविद्युत परियोजनाओं की आधारशिला रखी। किश्तवाड़ में चिनाब नदी पर लगभग 5,300 करोड़ रुपये की लागत से 850 मेगावाट की परियोजना और उसी नदी पर 4,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 540 मेगावाट की क्वार जलविद्युत परियोजना का निर्माण किया जाएगा। अब इसी परियोजना के बाद पाकिस्तान बौखला उठा है।
चिनाब नदी पर परियोजनाओं के ऐलान से बौखलाए पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने प्रधानमंत्री मोदी की कश्मीर यात्रा को घाटी में नकली सामान्य स्थिति दिखाने की एक और चाल बताया। विदेश कार्यालय ने रविवार रात एक बयान में कहा, 'पांच अगस्त 2019 के बाद से अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भारत द्वारा कश्मीर में वास्तविक अंतर्निहित मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए इस तरह के कई हताश प्रयासों को देखा है। पाकिस्तान ने कश्मीर में चिनाब नदी पर रतेल और क्वार पनबिजली परियोजनाओं (एचईपी) के निर्माण के लिए आधारशिला रखने की भी आलोचना की।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के दफ्तर ने कहा, भारत द्वारा डिजाइन रतेल पनबिजली संयंत्र के निर्माण पर पाकिस्तान को आपत्ति रही है। क्वार पनबिजली संयंत्र के लिए भारत ने अब तक पाकिस्तान के साथ जानकारी साझा करने के अपने संधि दायित्व को पूरा नहीं किया है। इसके आगे कहा गया है कि, पाकिस्तान भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा दो परियोजनाओं की आधारशिला रखने को 1960 की सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के सीधे उल्लंघन के रूप में देखता है। पाकिस्तान ने भारत से आईडब्ल्यूटी के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने और आईडब्ल्यूटी ढांचे के लिए हानिकारक कोई भी कदम उठाने से परहेज करने का आह्वान किया।
पाकिस्तान को जितना बौखलाना है उतना बौखला ले। लेकिन, अब ये परियोजना रुकने वाली नहीं है और ना ही घाटी में विकास को कोई माई का लाल रोक सकता है। कहने के लिए तो अनुच्छेद 370 पर भी खुब राजनीति हुई और कहा गया कि इसे हटाने वाला कोई पैदा नहीं हुआ। जिस तरह ये हटा अब उसी तरह घाटी में आतंकवाद भी पूरी तरह से खत्म होगा और जम्मू-कश्मीर के लोग बंदूक के बजाय कलम उठाएंगे। पाकिस्तान को इन्हीं सबसे ज्यादा दिक्कत है कि अगर आवाम पढ़ लेगी तो वो फिर आतंक कैसे फैलाएगा।