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CIA चीफ भी हुए PM Modi के कायल,बोले-सिर्फ उन्हीं की वजह से टला परमाणु युद्ध

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के प्रमुख विलियम बर्न्स

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से फोन पर बातचीत की। इस दौरान पीएम मोदी (PM Modi) ने एक बार फिर से इस बात पर जोर दिया था कि यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म करने का विकल्प लड़ाई नहीं बल्कि कूटनीति है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने इस बातचीत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि हम पीएम मोदी के कहे शब्दों का स्वागत करते हैं। वहीं इस बीच अब अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के प्रमुख विलियम बर्न्स ने कहा कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों का रूसियों पर प्रभाव पड़ा है।

क्या बोले बिल बर्न्स?

अपने हालिया इंटरव्यू में बिल बर्न्स (William J. Burns) ने कहा मुझे ऐसा लगता है कि पीएम मोदी और शी जिनपिंग का परमाणु हथियारों के उपयोग के बारे में अपनी चिंताओं को जाहिर करना बहुत उपयोगी रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इसका रूस पर भी प्रभाव पड़ रहा है। दरअसल, पुतिन ने एक बयान जारी कर बताया था कि वो अपने देश के रक्षा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसका सीधा मतलब परमाणु अटैक से था।

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पुतिन ने दी परमाणु युद्ध की धमकी

अपने इस बयान के बाद यूएस प्रेसिडेंट जो बाइडेन ने कहा था कि जब व्लादिमीर पुतिन ये कह रहे हों कि वो रूस की जमीन की रक्षा के लिए उपलब्ध ‘अपने सभी साधनों’ का इस्तेमाल करेंगे तो वे मजाक नहीं कर रहे होंगे। बाइडन ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की आशंका को देखते हुए पुतिन को चेतावनी दी थी कि ऐसा करना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे गंभीर सैन्य स्थिति होगी।

सर्दियों में भी जारी रहेगा युद्ध?

पुतिन ने भयंकर सर्दी में भी युद्ध जारी रखने के ऐलान के सवाल में बिल बर्न्स ने कहा कि मैं समझता हूं कि उन्होंने गलत दांव लगाया है। इस साल 24 फरवरी को जब उन्होंने युद्ध छेड़ा तो वे पूरी तरह गलत थे। सीआईए का मानना है कि रणनीतिक तौर पर ही सही लेकिन ठंड शुरू होने के साथ ही लड़ाई की रफ्तार धीमी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि रूसी सेना को भी इस वक्त भारी चोट पहुंची है और यूक्रेनी सेना इस दबाव को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है। हाल के दिनों में उसे लड़ाई के मैदान में जो सफलताएं मिली हैं उन्हें वो बरकरार रखना चाहती है। हालांकि उन्हें भी दोबारा चुस्ती के साथ मोर्चा लेने और अपनी सप्लाई को बहाल करने के लिए वक्त चाहिए।