प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन दिवसीय दौरे के लिए आज सुबह अमेरिका पहुंच गए हैं। इस दौरान उनका वहां जोरदार स्वागत हुआ। लोग एयरपोर्ट से लेकर होटल तक मोदी-मीदी के नारे लगा रहे थे। प्रधानमंत्री के अमेरिका पहुंचने से इधर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का कलेज सुन्न हो गया है। इसके पीछे ये कारण है कि इमरान खान को जो बाइडेन के पहली कॉल का इंतजार अब तक है। हाल ही में इमरान खान ने बाइडेन को कई बार फोन करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात करेंगे। व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति और भारतीय पीएम की एक और मीटिंग की तैयारियां शुरू हो गई हैं। पीम मोदी के इस दौरे से पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में काफी हलचल है। क्योंकि इमरान खान को अमेरिकी राष्ट्रपति के पहले फोन कॉल का अब तक इंतजार है। इमरान खान ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी पर अमेरिकी सरकार की जमकर आलोचना की और जब देखा की बात बिगड़ने लगी, अमेरिकी सरकार पाकिस्तान को लेकर सख्त होने लगी तो इमरान खान पलटने लगे,लेकिन ये सब उनका किसी काम का नहीं है। इमरान खान से कई बार अमेरिका के साथ वर्तमान रिश्ते को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, जो बाइडेन बहुत बिजी इंजान हैं।
बता दें कि, अब तक सिर्फ पांच ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति हुए हैं जो पाकिस्तान के दौरे पर गए हैं। आइजनहावर के बाद लिंडन जॉनसन दूसरे अमेरिकी राष्ट्रपति थे जो पाक गए उनके बाद रिचर्ड निक्सन और बिल क्लिंटन। बिल क्लिंटन 31 साल बाद पाक का दौरा करने वाले राष्ट्रपति बने थे। ऐसे में इमरान खान को उम्मीद थी कि उनके शासन काल में ये सूखा खत्म होगा लेकिन अब मुश्किल लगा रहा है। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा जब अपने कार्यकाल के दौरान 27 जनवरी 2015 को अपने भारत दूसरे दौरे को खत्म कर वापस लौट रहे थे उससे पहले एनपीआर रेडिया ऑफ अमेरिका ने कहा था कि, राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बिल्कुल अभी भारत का दौरा खत्म किया है जिसके बाद पाकिस्तानी बस अपनी विजिटर्स बुक को निहार रहे होंगे, वहां पर लोगों में इस बात को लेकर झुंझलाहट है कि ओबामा दो बार दिल्ली गए और पाकिस्तान से सिर्फ होकर गुजर गए।
बताते चलें कि, अफगानिस्तान में जब से तालिबानियों का कब्जा हुआ है तब से ही पाकिस्तान के हाव-भाव बदलने लगे थे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तालिबाव के समर्थन के साथ-साथ दुनिया भर से अपील कर रहे थे वो इस चरमपंथी संगठन के अंतरीम सरकार का समर्थन करें। इतना तक तो ठीक था लेकिन चीन के खास दोस्त इमरान खान अमेरिका की जमकर आलोचना करने लगे थे। जिसके बाद अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह पाकिस्तान से अफगानिस्तान में पैदा की गई मुसीबत को खत्म करने की उम्मीद कर रहा है। काबुल पर तालिबान के कब्जे से पहले अगस्त महीने की शुरुआत में इमरान खान ने कहा था कि, पाकिस्तान को सिर्फ इस मामले में ही उपयोगी माना जाता है कि वह किसी तरह इस मुसीबत को सुलझाता है, जो मुसीबत 20 साल तक सैन्य समाधान खोजने की कोशिश में पैदा हुई। इमरान खान की यही बयानबाजी अब उनपर उल्टा पड़ रही है और अब वो अमेरिका की तरीफ के पुल बांधने लगे हैं।