अंतर्राष्ट्रीय

Putin के खिलाफ गए PM Modi? Russia ने कैंसिल की काला सागर अनाज डील, भारत ने UN में फिर किया विरोध

भारत ने एक बार फिर काला सागर अनाज (Russia) पहल के खत्‍म होने को लेकर अपनी चिंताएं संयुक्‍त राष्‍ट्र (यूनाइटेड नेशंस) के सामने जाहिर की हैं। भारत की स्‍थायी दूत रूचिरा कंबोज ने इस मामले में भारत का पक्ष रखा है। भारत की प्रतिकिया रूस को निराश कर सकती है। संयुक्त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएसएसी) को संबोधित करते हुए कंबोज ने कहा, ‘भारत काला सागर अनाज पहल को जारी रखने में संयुक्त राष्‍ट्र महासचिव के प्रयासों का समर्थन करता है और वर्तमान गतिरोध के शीघ्र समाधान की उम्मीद करता है।’ भारत की तरफ से पहले भी इस पहल को लेकर गंभीर चिंताएं जताई गई थीं। निश्चित तौर पर भारत का रुख रूस (Russia) के लिए मुश्‍किलें बढ़ाने वाला हो सकता है।

बातचीत के माध्‍यम से निकाले हल

रूचिरा कंबोज ने कहा, ‘हमें बातचीत और कूटनीति के माध्यम से इसका समाधान तलाशना चाहिए। हमारे सामूहिक भविष्य के निर्माण के लिए शांति, सहयोग और बहुपक्षवाद का चुनाव होना बहुत जरूरी है। वैश्विक व्यवस्था को रक्षा के लिए शासन प्रणालियों को मजबूत करना होगा। इसलिए वैश्विक कानून और वैश्विक मूल्य एक होने चाहिए और यह सबकी साझा जिम्मेदारी है।’ इसके बाद उन्‍होंने दुनिया भर में हो रही खाद्यान्‍न की कमी की तरफ ध्‍यान दिलाया। उन्‍होंने कहा, ‘खाद्यान्न की बढ़ती कमी को अगर दूर करना है तो पहले वर्तमान बाधाओं को खत्‍म करना होगा। जहां तक भारत का सवाल है, हमनें हमेशा वैश्विक चुनौतियों से निपटने में अपनी भूमिका को मजबूत किया है।’

पहले भी किया है विरोध

इसके बाद रूचिरा कंबोज ने काला सागर अनाज पहल के बारे में भारत की राय यूएन के सामने रखी। भारत की स्थायी प्रतिनिधि कंबोज ने कहा, ‘हाल के घटनाक्रमों के बाद शांति और स्थिरता का मकसद हासिल करने में असफलता मिली है। मैं बताना चाहूंगा कि भारत संकट के समय भागीदार बना है और हमेशा मदद करने में आगे रहा है।’ इसके बाद उन्‍होंने अफगानिस्‍तान का जिक्र किया। रूचिरा ने बताया कि अफगानिस्तान में बिगड़ती मानवीय स्थिति को देखते हुए 50,000 मीट्रिक टन गेहूं का दान शुरू किया। इसी तरह, भारत ने म्यांमार के लिए अपना मानवीय समर्थन जारी रखा है, जिसमें 10,000 टन चावल और गेहूं का अनुदान शामिल है। हमने कठिन समय के दौरान खाद्य सहायता सहित श्रीलंका की भी मदद की है। भारत ने कुछ दिन पहले भी रूस के फैसले का विरोध किया था।

यह भी पढ़ें: आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हुआ Russia! 50 युद्धपोत, 30 लड़ाकू विमान और हजारों सैनिक के साथ बाल्टिक सागर में किया युद्धाभ्यास

आईएन ब्यूरो

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