Hindi News

indianarrative

प्रधानमंत्री Narendra Modi ने बिना बोले ड्रैगन की धड़कने कर दी तेज! Nepal दौरे से मजबूत हुआ दोनों देशों का रिश्ता

बेहद अहम है नेपाल दौरा, ऐसे ही नहीं गए हैं प्रधानमंत्री Narendra Modi

इसमें कोई दो राय नहीं है कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद भारत की छवी दुनिया के सामने एक मजबूत देश के रूप में उभर कर आई है। आज दुनिया का हर बड़ा से छोटा देश भारत संग जुड़ना चाहता है। पीएम मोदी के साथ आना चाहता है। पीएम मोदी जब भी किसी विदेश दौरे पर जाते हैं तो पुरी दुनिया की मीडिया उनकी बातों को कवर करती है। उन्हें ध्यान से सुना जाता है। भारत के फैसलों पर दुनिया बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती है। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने एक दिवसीय दौरे पर नेपाल पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दौरान काफी अहम है। इस दौरे के दौरान दोनों देशों के रिश्ते में और मजबूती वाले कदम उठाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लुंबनी में मायादेवी मंदिर में पूजी की, पवित्र पुष्कर्णी तालाब और अशोक स्तंभ की परिक्रमा की। भारत की मदद से बन रहे बुद्धिस्ट कल्चरल सेंटर के भूमि-पूजन में भी शामिल हुए। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने उनका भव्य स्वागत किया। केपी ओल की सरकार में भारत और नेपाल के रिश्तों में थोड़ी दूरी आ गई थी। जिसे पूरा करने के लिए फिर देउबा सरकार रिश्ते मजबूत कर रही है। पीएम मोदी का यह दौरा कुटनीतिक लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है।

2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी का नेपाल में पांचवी बार यात्रा है। इस दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने समकक्ष नेपाली प्रधानमंत्री देउबा के साथ जल विद्युत, विकास और कनेक्टिविटी जैसे मसलों पर चर्चा करेंगे। द्विपक्षीय बैठक के बाद दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग के मसलों पर भी कुछ समझौते होंगे। प्रधानमंत्री इस दौरान लुंबनी मठ में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर फॉर बौद्ध कल्चर एंड हेरिटेज की आधारशिला रखेंगे। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी बुद्ध जयंती समारोह में भी शिरकत करेंगे। वह बौद्ध विद्वानों, बौद्ध भिक्षुओं के साथ ही नेपाल और भारत के लोगों को संबोधित भी करेंगे।

जब केपी शर्मा ओली की सरकार थी तो भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में थोड़ी दूरी आई थी। केपी ओली चीन समर्थक थे और नेपाल में चीन का दबदबा बढ़ा था। नेपाल पर प्रभाव डालकर चीन उसकी जमीन का इस्तेमाल भारत खे खिलाफ करना चाहता था। जो सबसे खतरनाक स्थिति हो सकती है। ऐसे में भारत को हर हाल में नेपाल के साथ अपने रिश्तों को बना कर चले की जरूरत है। देउबा के आने के बाद से चीन और नेपाल में दूर बनी और भारत संग रिश्तों में मजबूती मिली। देउबा को अच्छे से पता है कि, अगर वो चीन पर निर्भर हो जाते हैं और उसके कर्ज जाल में फंस जाते हैं तो उनका भी हाल श्रीलंका वाला हाल होगा। ऐसे में उन्होंने सही समय पर श्रीलंका से सीख लेते हुए चीन के कई प्रोजेक्ट को अपने यहां लागू करने से मना कर दिया। उन्हें भी पता है कि भारत एक उदर देश है और वैसे भी नेपाल को जब भी जरूरत पड़ी है तो भारत हमेशा सामने खड़ा रहा है। ऐसे में नेपाल की देउबा सरकार भारत संग रिश्ते में मजबूत गांठ बांधना चाहती है।