Nepal Politics Prime Minister: नेपाल में काफी दिनों से राजनीतिक उठापठक (Nepal Politics Prime Minister) चल रही है। ऐसे में अब तय हो गया है कि, देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा। हालांकि, ये खेल पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पर्दे के पीछे से खेला है। जिसके बाद देउबा दौड़ से बाहर हो गये हैं और पुष्प कमल दहल प्रचंड नेपाल के अगले प्रधानमंत्री (Nepal Politics Prime Minister) के रूप में शपत लेंगे। चुनाव के बाद से ही चल रहे राजनीतिक घटनाक्रमों ने रविवार को नया मोड़ लिया। विपक्षी दल सीपीएन-यूएमएल और अन्य छोटे दलों ने सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष ‘प्रचंड’ को समर्थन देने के लिए तैयार हो गए। रोटेशन के आधार पर सरकार का नेतृत्व करने को लेकर प्रचंड और ओली के बीच सहमित बनी है। प्रचंड को पहले मौके पर प्रधानमंत्री (Nepal Politics Prime Minister) बनाने को लेकर ओली तैयार हो गए हैं।
देउबा को हराने के लिए ओली ने लगा दी अपनी पूरी ताकत
केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में उनके आवास बालकोट पर विपक्षी दलों के साथ एक अहम बैठक हुई, जिसमें सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-माओवादी सेंटर, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) और अन्य छोटे दलों ने हिस्सा लिया। इस दौरान ‘प्रचंड’ की लीडरशिप में नई सरकार के गठन का फैसला हुआ। इसमें ओली, प्रचंड, आरएसपी अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन, जनता समन्वयवादी पार्टी के अध्यक्ष अशोक राय सहित अन्य लोगों ने भाग लिया। सीपीएन-एमसी के महासचिव देब गुरुंग ने कहा कि CPN-UML, CPN-MC और अन्य पार्टियां प्रचंड के बतौर प्रीमियर का दावा करने के लिए तैयार हैं। ये सभी संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के तहत 165 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ राष्ट्रपति कार्यालय ‘शीतलनिवास’ जाएंगे। गुरुंग ने कहा कि राष्ट्रपति को सौंपने के लिए एक समझौता पत्र तैयार किया जा रहा है।
देउबा को मिली सबसे ज्यादा जीत फिर भी नहीं बना पाये सरकार
बता दें कि, 20 नवंबर को हुए चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला लेकिन, देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस (NC) को 89 सीट मिला जो चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में ऊभरी। लेकिन, विपक्षी सीपीएन-यूएमएल को 78 सीट और प्रचंड के नेतृत्व वाली सीपीएन-माओवादी सेंट को 32 सीट मिले। नवगठित राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) को 20, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी को 14, जनता समाजवादी पार्टी (JSP) को 12 और जनमत पार्टी को 6 सीट मिली हैं। ऐसे में देउबा इतनी ज्यादे सीटें जितने के बाद भी सरकार बचा पाने में असमर्थ रहे। ओली ने विपक्षी दलों के साथ मिलकर देउबा को हराने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी।
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