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दुश्‍मन को प्यार के जाल में फंसाकर दुनिया के राज जान लेगी रूसी जासूसी, Putin ने फिर शुरू किया स्कूल

रूसी जासूस को ट्रेनिंग देने वाला स्कूल

Putin school of sexpionage: जासूसी एक ऐसा पेशा है, जिसको मंजिल तक पहुंचाने वाला शख्स कभी इसे स्वीकार नहीं करता। पहले के जमाने में ह्यूमन इंटेलीजेंस ही सब कुछ होता था। मगर आज के समय में नई-नई टेक्नोलॉजी की अहमियत काफी ज्यादा हो गई है। जासूस सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठकर अपने लक्ष्य की जासूसी करने में सक्षम हैं। बावजूद इसके आज भी ह्यूमन इंटेलिजेंस (human intelligence) सबसे सटीक और प्रभावी माना जाता है। इस बीच अब खबर आ रही है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने पुराने जासूसी संस्थान को फिर से शुरू कर दिया है। रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी के जासूसों को अब इसी स्कूल में जासूसी की ट्रेनिंग दी जाएगी।

ये महिला जासूस कोई भी रूप धर सकती हैं

दरअसल, पुतिन(Putin) खुद केजीबी के जासूस के तौर पर काम कर चुके हैं। उन्होंने पूर्वी जर्मनी में 16 साल तक तत्कालीन सोवियत संघ के लिए जासूसी की थी। ऐसे में वो दुश्मन देश की जासूसी की अहमियत को काफी ज्यादा समझते हैं। एक किताब में दावा किया गया है कि इस केजीबी स्कूल में सिर्फ रूसी महिला जासूसों को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने अपने दुश्मन देश में लालच देकर, ब्लैकमेल करके या धमकाकर जासूसी करने के गुर सिखाए जाएंगे। ये जासूस फिल्मी हीरोइन, सिंगर, डांसर या शिक्षक का रूप धरने में माहिर हैं।

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केजीबी का ट्रेनिंग स्कूल कहां?

केजीबी के इन जासूसों को स्वैलोज के नाम से जाना जाता है। उन्हें ट्रेनिंग के दौरान यह सिखाया जाता है कि कैसे विदेशी वीआईपी व्यक्तियों को जानकारी के लिए प्रलोभित किया जा सकता है। शीत युद्ध के दौरान केजीबी ने इस रणनीति के तहत सैकड़ों जासूसों को ट्रेनिंग देकर दुश्मन देशों में भेजा था। इनका एक स्कूल रूस की राजधानी मॉस्को से 500 मील पूर्व में कजान में स्थित है। यह स्कूल सोवियत संघ के विघटन के बाद बंद हो गया था। इसी स्कूल को व्लादिमीर पुतिन के विशेष आदेश पर फिर से शुरू किया गया है।

दुश्मनों की जासूसी कैसे होती है?

मार्क होलिंग्सवर्थ की नई किताब एजेंट्स ऑफ इन्फ्लुएंस के अनुसार सोवियत काल में नौजवान गरीब लड़कियों को सिखाया जाता था कि कैसे क्लबों, होटल लॉबी या यहां तक कि मालिनास नाम के नकली वेश्यालय में विदेशियों से कैसे संपर्क किया जाए। यह वेश्यालय बगिंग उपकरणों को खुफिया कैमरों से सजा हुआ होता था। इसका उद्देश्य वीआईपी की ऐसी जानकारी पाना होता था, जिसे छिपाने के लिए वह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हो जाए। बाद में उस राज का पर्दाफाश करने, रिकॉर्डिंग या तस्वीीरों को सार्वजनिक करने की धमकी देकर खुफिया जानकारी पाई जाती थी।