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Ukrain पर किसी समय रूस का कब्जा! US-NATO ने यूक्रेन को अकेला छोड़ दिया, क्या पुतिन के सामने सरैंडर करेंगे जेलेंसकी!

नाटो-अमेरिका ने यूक्रेन को अकेला छोड़ा

ध्यान देने वाली बात है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंसकी ने अभी तक रूस के साथ युद्ध का जवाब युद्ध से देने की बात नहीं की है। यह बात अलग है कि यूक्रेन ने नाटो से मदद जरूर मांगी हैं। यूक्रेन के नागरिकों को लग रहा है कि अमेरिकी और नाटो ने जेलेंसकी और उनके देश को अकेला छोड़ दिया। बाइडेन ने कहा है कि नाटो की जमीन की रक्षा करेंगे। बाइडेन ने एक भी शब्द यह नहीं कहा अमेरिकी यूक्रेन की रक्षा करने आ रहे हैं। मतलब यह कि अमेरिका यूक्रेन को रूस से बचाने के लिए युद्ध के मैदान में नहीं उतरेंगे।

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की लगभग ढाई घण्टे देरी से शुरु हुई प्रेस संबोधन से यूक्रेन को काफी निराशा हुई है। रूस पर जो भी सेंक्शंस लगाए गए हैं उन पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन एक दिन पहले ही चर्चा कर चुके हैं। रूस का अग्रेसिव रुख जारी है। रूस की पीस कीपिंग फोर्सेस यूक्रेन की ओर लगातार बढ़ रही हैं।

ऐसी भी आशंका जताई जा रही है कि रूस बिना युद्ध किए या फिर सीमित युद्ध करके यूक्रेन को घुटने टेकने पर विवश कर दे। क्यों कि यूक्रेन की हैसियत रूस के सात युद्ध करने की नहीं है। इसके अलावा केवल डोनवास ही नहीं बल्कि कीव की एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग में बैठे लोग अमेरिका के बजाए रूस के पक्ष और समर्थन में चर्चा करते नजर आते हैं। यही कारण है कि पुतिन की आक्रामकता लगातार जारी रहने की आशंका है। 

ऐसा माना जा रहा है कि यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंसकी नई राणनीति बनाने में जुट गए हैं। जेलेंसकी ने अपने थिंक टैंक और बैक डोर डिप्लोमैसी को एक्टिव कर दिया है। जेलेंसकी को नाटो की सदस्यता तो नहीं मिलेगी लेकिन उसे अपना काफी हिस्सा रूस के कबजे में जाता दिखाई दे रहा है। ऐसा भी माना जा रहा है कि पुतिन कोई छोटी स्ट्राइक कर कीव की घेराबंदी करने वाले हैं। ऐसा होते ही जेलेंसकी घुटने पर आकर वही करेंगे जो रूसी राष्ट्रपति पुतिन करेंगे। एक बात और रूस-यूक्रेन की समस्या से सुपर पॉवर अमेरिका और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन का कद दुनिया के सामने घट गया है। जबकि पुतिन और रूस की ताकत और उभर का सामने आ रही है।