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ऑस्ट्रेलिया से वापस हुई तमिलनाडु से चुरायी गयी दुर्लभ हनुमान मूर्ति

तमिलनाडु से चुरायी गयी भगवान हनुमान की कांस्य की दुर्लभ मूर्ति को ऑस्ट्रेलिया से वापस ले लिया गया है (फ़ोटो: सौजन्य, ट्विटर/@kishanreddybjp)

एस.रवि
तमिलनाडु के अरियालुर ज़िले के वेलूर गांव में वरदराजू पेरुमल मंदिर से 9 अप्रैल, 2012 को चोरी हुई दुर्लभ हनुमान कांस्य मूर्ति की वापसी का इंतज़ार ख़त्म हो गया है। राज्य की आइडल विंग सीआईडी पुलिस शीघ्र ही मूर्ति को वापस लाकर मंदिर को सौंप देगी।
इस मूर्ति का निर्माण 14वीं और 15वीं शताब्दी के बीच विजयनगर साम्राज्य की अवधि के दौरान किया गया था।
वरदराजा पेरुमल, उनकी पत्नियों-श्रीदेवी और भूदेवी की मूर्तियों के साथ यह मूर्ति मंदिर के दरवाज़े तोड़कर चोरी हो गयी थी। इस मामला को सेंदुरई पुलिस स्टेशन में दर्ज कर लिया गया था और बाद में इसे 2020 में आइडल विंग में स्थानांतरित कर दिया गया था।
इस मामले की जांच करने पर आईडब्ल्यू ने पाया कि हनुमान की मूर्ति अमेरिका के न्यूयॉर्क के क्रिस्टीज की वेबसाइट पर थी। इस मूर्ति की तस्वीर को डाउनलोड किया गया और फ़्रांसीसी संस्थान पांडिचेरी के विशेषज्ञों को भेजा गया, जिन्होंने इस बात की पुष्टि कर दी कि चोरी की गयी यह मूर्ति क्रिस्टी द्वारा नीलाम की गयी मूर्ति से मेल खाती है।
इसके अलावा, एएसआई के विशेषज्ञों ने यह भी पुष्टि कर दी कि मूर्ति वास्तव में वही है, जो मंदिर से चुरायी गयी थी। बाद में यह पता चला कि इसे ऑस्ट्रेलिया में एक कला संग्राहक अमेरिकी नागरिक ने $37,500 में एक नीलामी के माध्यम से ख़रीदा था।
आइडल विंग ने भारत और ऑस्ट्रेलिया की सरकारों से मदद ली और कलेक्टर से संपर्क किया गया। चोरी के बारे में बताये जाने पर वह मूर्ति को भारत को सौंपने के लिए तैयार हो गया। इसके बाद इसे सबसे पहले अमेरिकी दूतावास के ज़रिए ऑस्ट्रेलियाई सरकार को दिया गया, जिसने इसे कैनबरा में भारतीय उच्चायोग को सौंप दिया।
दिलचस्प बात यह है कि नीलामी घर और ख़रीदार दोनों ही इस बात से अनजान थे कि मूर्ति चोरी की थी।
ऑस्ट्रेलिया से मूर्ति को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भेजा गया था और अब मूर्ति विंग ने मूर्ति को अपने कब्ज़े में लेने के लिए कुंभकोणम में विशेष अदालत का रुख़ किया है, ताकि इसे मंदिर को वापस किया जा सके।
अन्य तीन मूर्तियां, जो भगवान हनुमान के साथ चोरी हो गयी थीं, उनका अभी तक पता नहीं चल पाया है।