रूस (Russia) और भारत के बीच दोस्ती लगातार बढ़ती जा रही है। यूक्रेन युद्ध के कारण भारत पर रूस से दोस्ती तोड़ने के लिए काफी दबाव पड़ा। इसके बावजूद भारत अपने ऐतिहासिक संबंधों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुआ है। आज भारत रूस से रिकॉर्ड स्तर पर तेल खरीद रहा है। हथियारों की खरीद में कमी जरूर आई है, लेकिन यह अब भी प्रभावी स्तर पर बना हुआ है। यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत को एस-400 मिसाइल सिस्टम की तीन रेजीमेंट की डिलीवरी हो चुकी है। दोनों देशों में कामोव केए-226 हेलीकॉप्टरों की डील पर बातचीत जारी है। इसके अलावा भारत हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर के जरिए रूस के व्लादिवोस्तोक तक एक नया परिवहन गलियारा बनाने पर काम कर रहा है। इतना ही नहीं, भारत की प्लानिंग व्लादिवोस्तोक में एक सैटेलाइट सिटी बसाने की भी है।
व्लादिवोस्तोक में सैटेलाइट सिटी बसाएगा भारत
भारत ने रूस (Russia) के सुदूर पूर्व में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण व्लादिवोस्तोक के पास एक सैटेलाइट सिटी बनाने में रुचि व्यक्त की है। भारत पीएम मोदी की फॉर ईस्ट पॉलिसी के हिस्से के रूप में इस शहर में बंदरगाह, सड़कें और ऊर्जा बुनियादी ढांचा बनाना चाहता है। रूस भी व्लादिवोस्तोक में भारत की उपस्थिति का उत्सुक है। रूस के व्लादिवोस्तोक पर चीन भी दावा करता है। फॉर ईस्ट और आर्कटिक के विकास के लिए रूसी मंत्री अलेक्सी चेकुनकोव के अनुसार, मास्को और नई दिल्ली उत्तरी समुद्री मार्ग (एनएसआर) के साथ एक ट्रांस-आर्कटिक कंटेनर शिपिंग लाइन और प्रसंस्करण सुविधाओं को लॉन्च करने की संभावना पर भी चर्चा कर रहे हैं।
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चेन्नई-व्लादिवोस्तोक मैरीटाइम कॉरिडोर का प्रयोग चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग पर रूस से भारत में धातु के कोयले, कच्चे तेल और तरल प्राकृतिक गैस के परिवहन के लिए किया जा सकता है। अगर परियोजना वाकई शुरू हो जाती है तो करीब 10,300 किमी या 5,600 समुद्री मील को 10 दिनों के अंदर कवर किया जा सकेगा। इससे दुनिया के इस हिस्से में बड़े कार्गो के आने-जाने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। व्लादिवोस्तोक-चेन्नई का समुद्री रास्ता सोवियत संघ के टूटने के साथ ही खत्म हो गया था। इसे सिर्फ रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के समर्थन से मोदी सरकार की तरफ से फिर से जिंदा किया जा सकता है।