रूस और यूक्रेन की बीच जंग को आज 109दिन हो गया और इतने दिनों में पुतिन की आर्मी ने यूक्रेन को जो गहरा जख्म दिया है उसे भरने में कई वर्ष लग जाएंगे। इस वक्त आलम यह है कि यूक्रेन के पास गोला-बारूद खत्म हो चुका है और वो जंग हार रहा है। इसके कई शहरों पर रूस का कब्जा हो गया है। यह भी खबर है कि, कई शहरों में तो रूसी बैंक स्थापित कर दिए गए हैं। यूक्रेन के पास जब हथियारों की कमी देखने को मिली तो इसी दौरान रूस ने सही मौका देखते हुए युद्ध की रणनीति बदल दी है और ऐसे हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है जिसके बारे में यूक्रेन तो क्या पश्चिमी देश भी नहीं सोचे होंगे।
यूक्रेन और ब्रिटेन के अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि पूर्वी यूक्रेन पर कब्जा करने के प्रयास में रूस की सेना बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने के लिए ज्यादा घातक हथियारों का इस्तेमाल कर रही है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रूसी सैनिक यूक्रेन में 1960के दशक की जहाज-रोधी भारी मिसाइल दाग रहे हैं। केएच-22मिसाइल को मुख्य रूप से परमाणु हथियार का इस्तेमाल करके विमान वाहक जहाज को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया था।
मंत्रालय की ओर से कहा गया कि, जब पारंपरिक हथियारों के साथ मजीनी हमलों में ऐसी मिसाइल का इस्तेमाल किया जाता है, तो हताहतों की संख्या बढ़ती है और काफी नुकसाना होता है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रूस शायद 6.1टन भार वाली जहाज रोधी मिसाइल का इस्तेमाल कर रहा है क्योंकि उसके पास अधिक सटीक आधुनिक मिसाइल की कमी है। हालांकि, मंत्रालय ने यह नहीं बताया कि रूस ने यूक्रेन में किन-किन जगहों पर इन हथियारों का इस्तेमाल किया है।
यूक्रेन के पास खत्म हुआ गोला-बारूद
बता दें कि, जंग के बीच यूक्रेन ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि, हमारे पास गोला-बारूद लगभग खत्म हो चुका है। ये बयान यूक्रेन के सैन्य खुफिया विभाग के डिप्टी हेड की ओर से दिया गया है। उन्होंने कहा कि, हम फ्रंटलाइन पर रूस के खिलाफ पिछड़ रहे हैं। इसके आगे उन्होंने कहा कि, अब हम पश्चिमी देशों के हथियार पर निर्भर हैं। रूसी आर्टिलरी सिस्टम से यूक्रेन की हालत खराब है। अमेरिकी थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर ने चिंता जताई है। इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर ने कहा है कि, यूक्रेन को तुरंत आधुनिक हथियार की जरूरत है। रूस के आर्टिलरी सिस्टम की ताकत से यूक्रेन बहुत चिंतित है। इससे निपटने के लिए यूक्रेन को तुरंत आधुनिक हथियार चाहिए। वहीं, यूक्रेन लगातार पश्चिमी देशों से लंबी दूरी वाले रॉकेट सिस्टम की मांग कर रहा है। यहां तक कि, यूक्रेन सेना और सरकारी अधिकारी भी मानते हैं कि यूक्रेन की हालत ठीक नहीं है। यूक्रेन के सैनिक आर्टिलरी युद्ध में फंस गए हैं। अमेरिकी थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर ने यह भी कहा है कि, पूर्वी यूक्रेन में प्रभावी लड़ाई में आर्टिलरी की निर्णायक भूमिका होने वाली है।