पुतिन ने साफ कहा है कि, जो भी देश यूक्रेन की मदद करेगा वो उसे इसमें शामिल मानेंगे। रूस के सैन्य अभियान को रोकने के लिए अमेरिका, नाटो संग पूरे पश्चिमी देशों ने अपनी ताकत झोंक दी लेकिन वो इसे रोकने में नाकामयाब साबित हुए। यहां तक कि रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाकर देश की अर्थव्यवस्था को तोड़ने की कोशिश की लेकिन यहां भी इनकी हार हुई। अब 9 मई को रूस के लिए काफी खास दिन है और इस दिन यूक्रेन पर बड़ा हमला बोल सकता है। क्योंकि पुतिन ने गेमप्लान बदल दिया है।
रूस 9 मई को विजय दिवस मनाता है और इस बीच पुतिन और भी ज्यादा सख्त हो गए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि, इस दिन यूक्रेन बड़ी ताबही का मंजर देख सकता है। इस अवसर पर जहां पुतिन के देश में जश्न का माहौल रहेगा वहीं यूक्रेन के ऊपर मुसीबत और बढ़ने वाली है। क्योंकि, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने चेतावनी देते हुए कहा है कि हम विजय दिवस को देखते हुए यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई में कोई बदलाव नहीं करेंगें। हमारी सेना हमले जारी रखेगी।
रूस ने अपनी रणनीति में जो बदलाव किया है उसके तहत अब पश्चिमी यूक्रेन के हिस्सों पर कब्जा जमाने की बजाय पूर्वी क्षेत्र के जिन इलाकों को कंट्रोल कर लिया गया है, उन पर पूरी तरह से पॉलिटिकल और मिलिट्री कंट्रोल स्थापित किया जाए। क्रेमलिन की कोशिश है कि स्थानीय प्रशासन में अपने लोगों को स्थापित किया जाए। इसके अलावा स्थानीय लोगों से ट्रांजेक्शन में रूबल का इस्तेमाल करने को कहा जा रहा है। यह ठीक वैसी ही पॉलिसी होगी, जैसी उसने 2014 में क्रीमिया को शामिल करते वक्त अपनाई थी। जानकारों की माने तो, रूस इन इलाकों में रेफरेंडम भी करा रहा है ताकि इनके विलय के लिए एक आधार तैयार किया जा सके। इसके अलावा व्लादिमीर चाहते हैं कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को पद से हटाकर उनके स्थान पर अपने समर्थक किसी व्यक्ति को लाया जाए। यही नहीं स्थानीय सरकारों में भी रूस समर्थक लोगों को लाने की रणनीति पर व्लादिमीर पुतिन काम कर रहे हैं।
क्रेमलिन के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अब भी भरोसा है कि रूसी सेनाएं यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा जमाने में सफल होंगी। इसके अलावा डोनेत्सक और लुहान्सक क्षेत्रों पर पूरा नियंत्रण स्थापित करने की तैयारी है। यही नहीं यूक्रेन के दक्षिणी हिस्सों खेरसोन और जैपोरिझझिया क्षेत्रों के भी एक हिस्से पर रूसी सेनाओं ने नियंत्रण कर लिया है। ये दोनों क्षेत्र क्रीमिया से सटे हुए हैं, जिन्हें रूस ने 2014 में अपने में मिला लिया था। यही वजह है कि रूस को इन क्षेत्रों में नियंत्रण स्थापित करने में आसानी हुई है। इसकी एक वजह यह भी है कि यहां रूसी संस्कृति को मानने वाले लोगों की बड़ी संख्या है। ऐसे में सामाजिक और सांस्कृतिक तौर पर भी रूस को इन क्षेत्रों का विलय करने में आसानी होगी।