यूक्रेन को लेकर अमेरिका की चेतावनी के बावजूद रूस बाज नहीं आ रहा है। रूस के 1 लाख सैनिक इस समय यूक्रेन सीमा पर जमा हैं। वही नौसेना के 6 युद्धपोत बाल्टिक सागर के रास्ते भूमध्य सागर की ओर बढ़ रहे हैं। हालांकि रूस रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ये युद्धपोत आने वाले दिनों में भूमध्य सागर के इलाके में एक नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लेंगे। लेकिन अमेरिका को शक है कि रुस अपने युद्धपोतों को भूमध्य सागर में एक सोची-समझी रणनीति के तहत तैनात कर रहा है। ऐसे में अमेरिका भी सक्रिय हो गया है और यूक्रेन को सैन्य से जुड़े सामान मुहैया करा रहा है। इसके तहत 200 मिलियन डॉलर की पहली रक्षा खेप यूक्रेन के कीव में पहुंच गई है।
अमेरिका लगातार यूक्रेन को ऐसी मदद पहुंचा रहा है, जिससे यूक्रेन की सैन्य बल को मदद मिल सके। यूएस के अलावा बाल्टिक नेशन इस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया भी यूक्रेन की मदद के लिए आगे आए हैं। इन देशों ने अमेरिकी एंटी टैंक और एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल यूक्रेन को मदद के तौर पर भेजने का फैसला किया है। आपको बता दें कि अमेरिका ने रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला होने की स्थिति में 'गंभीर' नतीजे होने की चेतावनी दी है जिनमें रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध शामिल हैं। अमेरिका को शक है कि रुस अपने युद्धपोतों को भूमध्य सागर से काला सागर में गश्त के लिए भेज सकता है।
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इसलिए, यूक्रेन के समर्थन में अमेरिका, ब्रिटेन समेत नाटो देशों के कई युद्धपोत पहले से ही इस क्षेत्रों में गश्त लगा रहे हैं। ऐसे में इन युद्धपोतों के पहुंचने से पूरे काला सागर इलाके में तनाव और ज्यादा बढ़ गया है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो, अगर रूस कोई सैन्य कार्यवाई करता है तो ये युद्धपोत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। इनमें से पांच 775 रोपुचा क्लास के एम्फीबियस वॉरफेयर शिप हैं, जबकि एक प्रोजेक्ट 11711 इवान ग्रेन क्लास लैंडिंग शिप है। इनमें से 6 युद्धपोत बाल्टिक सागर से होकर भूमध्य सागर की ओर निकले। पहले के तीनों शिप इंग्लिश चैनल को पारकर दक्षिण की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, जबकि बाकी के तीन खराब मौसम के कारण उत्तरी सागर में पहुंचने वाले हैं।