अमेरिका और नाटो लाख धमकियों और कोशिशों के बाद भी रूस को यूक्रेन पर हमला करने से नहीं रोक सके। अमेरिका चाहता है कि यह जंग रूके नहीं, तभी तो वह पुतिन को और भड़काने का काम कर रहा है। अमेरिका का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी रूस है ऐसे में वो इस जंग के बहाने पुतिन को पूरी तरह से तोड़ना चाहता है ताकि वो सुपर पावर बना रहे। यूक्रेन के प्रति अमेरिका का उदारता नहीं बल्कि छलावा है। UNHRC में जब रूस के खिलाफ मतदान की बात कही गई तो दुनिया भर की नजरें भारत पर टिक गई है इस बार भारत कैसे बचेगा। अमेरिका ने हाल-फिलहाल में रूस के साथ संबंध रखने को लेकर भारत को कई चेतावनियां दिया था। अमेरिका को लगा कि अब भारत डर गया है और UNHRC में रूस के खिलाफ वोटिंग तो करेगा ही। लेकिन, यहां भी अमेरिका को मुंह की खानी पड़ी है।
यूक्रेन के बूचा शहर में हुए नरसंहार को लेकर संयुक्त राष्ट्र आम सभा की इमरजेंसी बैठक में रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समूह (UNHRC) से बाहर निकालने का फैसला किया गया है। रूस को से बाहर करने के पक्ष में 93वोट पड़े वहीं भारत ने इस वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। रूस ने इस बैठक को उनके खिलाफ पश्चिमी देशों की साजिश का हिस्सा बताया था। बैठक से पहले रूस ने सभी सदस्य देशों से अपील की थी कि वो पश्चिमी देशों और उनके सहयोगियों द्वारा मानवाधिकार को लेकर बनाए गए उनके ढांचे के खिलाफ वोट करें।
रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन से बाहर निकलाने को लेकर बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र आम सभा से पहले रूस के विदेश मंत्री सरगे लावरोव ने कहा कि बार-बार उकसाने के बावजूद मॉस्को कीव के साथ बातचीत जारी रखेगा। वहीं दूसरी तरफ यूक्रेन की तरफ से संयुक्त राष्ट्र आम सभा में मौजूद प्रतिनिधि ने कहा कि रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार सगंठन से बाहर निकालना विकल्प नहीं बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी है। रूस को मानवाधिकार संगठन से बाहर करने को लेकर बुलाई गई इमरजेंसी बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बात कही।