क्रेन के सबसे बड़े जपोरिज्झिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर हुई गोलीबारी के चलते अब यूरोप में खतरा मंडराने लगा है। आईएईए के महानिदेशक राफेल मारियानों ग्रासी ने अपने एक बयान में कहा है कि, मैं यूरोप के सबसे बड़े उर्जा संयंत्र पर कल की गई गोलीबारी से बेहद चिंतित हूं, जो परमाणु आपदा के वास्तविक खतरे को रेखांकित करता है। एक तरह से ये यूरोप के लिए किसी बड़े खतरे से कम नहीं है।
रूसी सेना ने दक्षिण में जापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र पर कब्जा कर लिया था, हालांकि इस संयंत्र को अभी भी यूक्रेनी तकनीशियनों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। इसने एक व्यापक आपदा की संभावना को बढ़ा दिया है। दोनों देश एक दूसरे पर परमाणु आतंकवाद में शामिल होने का आरोप लगा रहे हैं। यूक्रेन की राज्य परमाणु उर्जा कंपनी एनर्गोटम ने नुकसान के लिए रूस को दोषी ठहराया है वहीं रूस के रक्षा मंत्री ने यूक्रेन की सेना पर संयंत्र पर गोलाबारी करने का आरोप लगाया है। वहीं अमेरिका ने रूस पर इसे 'परमाणु ढाल' के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। इन सब के बीच आईएईए प्रमुख ने दोनों पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया है।
रूस डोनबास क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिश कर रहा है जिसमें लुहान्सक और दोनस्तक प्रांत शामिल हैं। क्रीमिया को अपने साथ शामिल करने के बाद इस क्षेत्र को रूस समर्थित अलगाववादियों ने कब्जा लिया था। वैसे इस यूक्रेन की हालत बेहद ही खराब है। जेलंस्की बुरी तरह फंस चुके हैं। उनके पास जब इससे निकलने का चांस था तो वो अकड़ में थे। इसके साथ ही एक और बात सामने आई थी कि, दुनिया के सामने यूक्रेन के राष्ट्रपति ये दिखाने की कोशिश कर रहे है कि वो रूस से समझौता करना चाहते हैं। लेकिन, दूसरी ओर जेलेंस्की का कहना है कि समझौता इस जंग के खत्म होने के बाद ही होगा। ऐसे में जेलेंस्की की दोहरी बातें सिर्फ तबाही लेकर आएंगी। जो इस वक्त यूक्रेन में देखने को मिल रही है।