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Ukraine को लेकर आखिर क्या है रूस की चाल,नए सैन्य कमांडर की चेतावनी से मचा हड़कंप

Russia Ukraine War

रूस और यूक्रेन (Russo-Ukrainian War) का युद्ध अब तक भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में रूस ने कुछ हिस्सों पर जनमतसंग्रह कराया है और जमीन को कब्जे में ले लिया है। अब रूस के नए कमांडर ने कहा है कि नागरिकों को कब्जाए हुए खेरसॉन से दूसरी जगह बसाया जाएगा। इसके पीछे की वजह तनावपूर्ण सैन्य स्थिति है। इस महीने की शुरु में सर्गेई सुरोविकिन की नियुक्ति की गई थी। ऐसे में अपने पहले टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा, दुश्मन लगातार हम पर हमले की कोशिश करता रहता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी माना कि खेरसॉन के कब्जे वाले दक्षिणी शहर के आसपास स्थिति विशेष तौर से कठिन थी।

सुरोविकिन (Sergey Surovikin) का ये बयान ऐसे समय में आया है जब लगातार रूसी सेना को अलग-अलग मोर्चों पर झटका लग रहा है और उसकी निर्भरता ईरान की मिसाइलों और ड्रोन पर बढ़ रही है। मंगलवार को न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया कि ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉप्स के सैन्य सलाहकार क्रीमिया में एक रूसी सैन्य अड्डे पर हैं। रूस को युद्ध में ईरान कामीकाजे या शाहीद-136 ड्रोन दे रहा है। कथित तौर पर ईरानियों को इन ड्रोन में आनी वाली दिक्कतों को हल करने के लिए भेजा गया है।

खेरसॉन में मिल रही यूक्रेन से टक्कर

यूक्रेनी सेना दक्षिणी क्षेत्र खेरसॉन में भयानक तरीके से जवाबी हमला कर रही है। सुरोविकिन ने माना कि इस इलाके में स्थिति अच्छी नहीं है। उन्होंने आगे कहा, ‘खेरसॉन शहर के बारे में आगे की कार्रवाई और योजनाएं विकासशील सैन्य-सामरिक स्थिति पर निर्भर करेंगी, जो आसान नहीं है।’ सुरोविकिन का ये बयान रूसी सेना के सामने आने वाली कठिनाइयों की स्वीकृति दिखाता है। खेरसॉन से रूसी सेना की वापसी पर भी उन्होंने इशारा किया है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि रूसी सेना पीछे नहीं हट रही, बल्कि संभव है कि ये हवाई हमलों की एक बार फिर शुरुआत करें।

बड़ा हमला कर सकता है यूक्रेन

खेरसॉन नीप्रो नदी के पश्चिमी तट पर है। 24 फरवरी को रूस के हमले के बाद से खेरसॉन उन पहले इलाकों में से एक है, जिस पर रूस ने कब्जा जमाया था। यूक्रेन की सेना ने खेरसॉन में एक न्यूज ब्लैकआउट की घोषणा की है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यूक्रेन एक बड़ी जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। वह पहले भी ऐसा कर चुके हैं। रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के पूर्व महानिदेशक माइकल क्लार्क ने कहा, ‘जब यूक्रेनी न्यूज ब्लैकआउट करते हैं तो इसका मतलब है कि कुछ चल रहा है। उन्होंने पहले भी ऐसा किया है।’