Hindi News

indianarrative

नाइजरिया में सैन्य तख़्तापलट: कहीं Russian हाथ तो नहीं  !

सैन्य तख़्तापलट के बाद नाइजर में सुनायी देते रूस समर्थक नारे

Russian Action:अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को नाइजर सैन्य तख़्तापलट करने वाले नेताओं पर आर्थिक और यात्रा प्रतिबंध लगाते हुए पश्चिम अफ़्रीकी देशों ने धमकी दी है कि अगर देश के राष्ट्रपति मोहम्मद बज़ौम को एक सप्ताह के भीतर बहाल नहीं किया गया, तो वे बल प्रयोग करेंगे।

कई वर्षों में किसी सहेलियन नेता को पदच्युत करने के इस तीसरे प्रयास में सेना ने बुधवार से नाइजर के निर्वाचित राष्ट्रपति बज़ौम को पकड़ रखा है। राष्ट्रपति गार्ड के कमांडर जनरल अब्दुर्रहमान तियानी ने खुद को नेता घोषित कर दिया है।

पश्चिमी अफ़्रीकी राज्यों के 15-राष्ट्र आर्थिक समुदाय (इकोवास) क्षेत्रीय ब्लॉक ने रविवार को नाइजीरिया में आयोजित एक आपातकालीन सम्मेलन में बाज़ौम को एक सप्ताह के भीतर बहाल करने के लिए कहा।

यदि ऐसा नहीं होता है, तो इस गुट ने क़ानून के शासन को फिर से स्थापित करने के लिए “सभी उपायों” का उपयोग करने की धमकी दी है।

एक बयान में इस गुट ने चेतावनी दी है कि “इस तरह के उपायों में इस आशय के लिए बल का उपयोग भी शामिल हो सकता है और ECOWAS रक्षा प्रमुख रविवार को बाद में बैठक बुलायेंगे।”

अल जज़ीरा के अनुसार, वित्तीय दंड लगाने के साथ-साथ इस ब्लॉक ने अपने सदस्यों और उस नाइजर के बीच “सभी वाणिज्यिक और वित्तीय लेनदेन” पर भी प्रतिबंध लगा दिया है, जो दुनिया के सबसे ग़रीब देशों में से एक है, जो अक्सर संयुक्त राष्ट्र के मानव विकास सूचकांक में अंतिम स्थान पर आता है।

बज़ौम साहेल में बचे हुए कुछ निर्वाचित राष्ट्रपतियों और पश्चिम समर्थक शख़्तियतों में से एक हैं, जहां 2020 में शुरू हुए सशस्त्र विद्रोह के बाद से माली और बुर्किना फ़ासो में तख़्तापलट हुआ है।

इस तख़्तापलट के बाद पूर्व औपनिवेशिक शक्तियों फ़्रांस और यूरोपीय संघ ने नाइजर से अपनी वित्तीय और सुरक्षा सहायता वापस ले ली है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका ने चेतावनी जारी कर कहा है कि उसकी अपनी सहायता ख़तरे में होगी।

सीएनएन ने रविवार को बताया कि सैन्य तख़्तापलट का समर्थन करने वाले हज़ारों लोगों ने अपने पूर्व उपनिवेश नाइजर में फ़्रांस के प्रभाव पर ग़ुस्सा व्यक्त किया है, जिसके परिणामस्वरूप फ़्रांसीसी दूतावास के सामने तनावपूर्ण और हिंसक दृश्य सामने आये।

देश के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद बज़ौम को रिहा करने के क्रेमलिन के अनुरोध के बावजूद तख़्तापलट समर्थक प्रदर्शनकारियों को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नाम का जाप करते देखा गया।

दूतावास को नामित करने वाली एक पट्टिका को कुछ प्रदर्शनकारियों ने नष्ट कर दिया, जिन्होंने बाद में इसकी जगह रूसी और नाइजीरियाई झंडे लगा दिए। जनता में “फ़्रांस मुर्दाबाद,” “पुतिन ज़िंदाबाद” और “रूस ज़िंदाबाद” के नारे लग रहे थे।

प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के प्रयास में नाइजर में पुलिस अधिकारियों ने आंसू गैस के गोले छोड़े।