रूस ने दावा किया है कि, रूसी सेना ने रिवावर को युद्ध के 129वें दिन यूक्रेन के लुहांस्क शहर पर कब्जा कर लिया है। इसके साथ ही अब रूसी आर्मी पूरे डोनबास इलाके पर कब्जा करने के उद्देश्य से आगे बढ़ रही है। ये जंग अब पहले से और भी भयानक हो गई है। रूस पहले तो यूक्रेन को सिर्फ समझाना चाहता था लेकिन, अब जेलेस्की की अकड़ और उनकी चाल के चलते रूस उन्हें माफ नहीं करने वाला है। नाटो में जब-जब जाने के लिए यूक्रेन कहेगा तब-तब रूस हमला तेज कर देगा। इस वक्त तो यूक्रेन के कई शहर पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं। रूस तेजी से कई एक-एक कर शहरों पर कब्जा करते जा रहा है। लेकिन, यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादोमीर जेलेंस्की नाटे को बहकावे के चक्कर में आकर हार मानने के लिए तैयार नहीं है। जेलेंस्की अगर अब भी रूस की बात नहीं माने तो आने वाले दिनों में नाटो के चलते यूक्रेन पूरी तरह खत्म हो जाएगा। इस बीच यूक्रेन में रूस ने अपना खास मकसद भी पूरा कर लिया है।
दरअसल, यूक्रेन के लुहांस्क इलाके में स्थित लिसिचांस्क शहर पर कब्जा होने के साथ ही रूस ने अपनी सैनिक कार्रवाई का एक प्रमुख मकसद हासिल कर लिया है। रविवार को ये खबर आई कि यूक्रेन की सेना लिसिचांस्क शहर से पीछे हट गई है। लुहांस्क इलाके में यह आखिरी बड़ा शहर है, जहां अब तक यूक्रेनी सेना का कब्जा था। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी इस बात की पुष्टि की है कि रूस समर्थित दोनबास की सेना ने अब इस शहर पर पूरा कब्जा जमा लिया है। इसके साथ ही लुहांस्क पीपुल्स रिपब्लिक को उसने यूक्रेन से मुक्त करा लिया है।
जब रूस ने यूक्रेन में 24 फरवरी को अपनी विशेष सैनिक कार्रवाई शुरू की थी तो इसमें राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन का तीन उदेश्य घोषित किया था। दोनबास इलाके को यूक्रेन से मुक्त कराना, यूक्रेन में नाजी विचारधारा वाले गुटों का सफाया और यूक्रेन को नाटो में न जाने देना। माना जाता है कि, यूक्रेन का मारियापोल शहर नाजी संगठनों का गढ़ था। जिसपर रूसी सेना ने पहले ही कब्जा जमा लिया था।
बता दें कि, दोनबास क्षेत्र कोयला और स्टील उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र है। इसीलिए यहां कब्जे को रूस की बड़ी रणनीतिक जीत माना जा रहा है। इसके अलावा अब यहां से रूस यूक्रेन के दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की स्थिति में होगा। वहां कब्जा होने पर दोनबास और क्राइमिया के बीच जमीनी संपर्क जुड़ जाएगा।