राष्ट्रपति व्लोदोमीर जेलेंस्की ने अगर नाटो में शामिल होने का रट नहीं लगाया होता तो आज यूक्रेन को लोग पहले की तरह अपनी जिंदगी बिता रहे होते। लेकिन, अमेरिका, नाटो और पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को अपने फायदे के लिए ऐसा बरगलाया कि वो नाटो में शामिल होने के लिए अपने अभियान तेज करने लगा। जिसपर रूस ने साफ तौर पर कहा था कि, अगर वो नाटो में गया तो उसे मजबूरन यूक्रेन को रोकने के लिए सैन्य कार्यवाई करनी होगी। अंत में हुआ भी यही। जंग के शुरू होते ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साफ तौर पर कहा था कि, जो भी देश बीच में आएगा उसे भी इसका खामियाजा भुगतना होगा। इसके बाद भी अमेरिका-नाटो-पश्चिमी देश यूक्रेन को पूरी तरह से मदद कर रहे हैं। वैसे भी ये जंग इतने दिनों तक पश्चिमी देशों के चलते चल रही है। इस बीच रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शांति वार्ता तोड़ने के लिए जेलेंस्की को जिम्मेदार ठहराया है।
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव रविवार को मिस्र के अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए काहिरा पहुंचे हैं। रूस के सरकारी टेलीविजन नेटवर्क 'आरटी' के अनुसार, लावरोव अपनी अफ्रीका यात्रा के पहले चरण के तहत शनिवार देर रात काहिरा पहुंचे। वह इस दौरान इथियोपिया, युगांडा और कांगो गणराज्य में भी रुकेंगे। आरटी के अनुसार, लावरोव ने रविवार को पहले मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी और उसके बाद मिस्र के अपने समकक्ष समेह शुकरी के साथ बातचीत की।
शुकरी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में रूसी विदेश मंत्री ने यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियान पर मिस्र के अधिकारियों के साथ चर्चा की, जिन्होंने संघर्ष का राजनीतिक और कूटनीतिक समाधान का आग्रह किया। लावरोव ने पहले की शांति वार्ता के टूटने के लिए यूक्रेन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, विभिन्न मुद्दों पर बातचीत फिर से शुरू करने को लेकर हमारे मन में कोई पूर्वाग्रह नहीं है, लेकिन यह हम पर निर्भर नहीं है। उन्होंने कहा, यूक्रेन के अधिकारी, राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की से लेकर उनके सलाहकारों तक, लगातार कहते रहे हैं कि जब तक यूक्रेन युद्ध के मैदान में रूस को हरा नहीं देता तब तक कोई बातचीत नहीं होगी।