अंतर्राष्ट्रीय

Ukraine-Russia प्रोपेगण्डा वॉर में पुतिन की हार और जेलेंस्की जीत गए?

Russian Military Operation: सवाल है कि क्या रूस विस्तारवादी नीतियों पर चल रहा है? क्या पुतिन 1991 के सोवियत रूस की कल्पना को jरशियन मिलिट्री ऑप्रेशन के जरिए (Russian Military Operation) मूर्त रूप देने में लगे हैं? क्रीमिया के बाद यूक्रेन और और उसके बाद बाकी पूर्व सोवियत राज्यों को रूस में शामिल करने की योजना है? क्या पुतिन सोवियत रूस के पुनःएकीकरण के लिए मसल और मनी दोनों पॉवर इस्तेमाल कर रहे हैं? क्या पुतिन यूक्रेन में रशियन मिलिट्री ऑप्रेशन (Russian Military Operation) अमेरिका को जवाब देने के लिए कर रहे हैं?

यूक्रेन में रूस का मिलिट्री ऑप्रेशन पुतिन की मजबूरी

बड़ा सवाल यह है कि पुतिन ने 24 फरवरी 2022 को ही यूक्रेन में मिलिट्री ऑप्रेशन  (Russian Military Operation) क्यों किया? यह सोवियत संघ की कल्पना को फिर से साकार करने के लिए ही किया गया या फिर पिछले आठ सालों से रूस के खिलाफ यूक्रेन की साजिशों को नेस्तनाबूद करने का आखिरी उपाय था? और क्या यूक्रेन ने रूस के एग्रेशन को अपने प्रोपेगण्डा वॉर से ध्वस्त कर दिया और रूस पर छद्म विजय हासिल कर ली?  आईए जानते हैं विस्तार से-

 रूस का मिलिट्री ऑप्रेशन मिंस्क समझौते का उल्लंघन?

पश्चिमी मीडिया का दावा है कि यूक्रेन में रूस का मिलिट्री ऑप्रेशन (Russian Military Operation) ने मिंस्क समझौते का उल्लंघन है, जबकि रूस का दावा है कि 2015 में जेलेंस्की के नेतृत्व में यूक्रेन की सरकार बनने के साथ ही रूस के खिलाफ षडयंत्र शुरू हो गए। रूस के राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि जेलेंस्की की शक्ल में नाटो की कठपुतली सरकार ने यूक्रेन में सत्ता संभाली।

यूक्रेन में कठपुतली सरकार का मकसद!

इस कठपुतली सरकार का एक मात्र मकसद था कि किसी भी तरह रूस को कमजोर किया जाए। रूस के खिलाफ रूस  के लोगों को, यूक्रेन में रूस के समर्थकों में और  रूस के मित्र देशों में रूस के खिलाफ नफरत का माहौल पैदा किया जाए। इसके लिए यूक्रेन ने एक दो नहीं बल्कि आठ सालों में कुल आठ स्पेशल ऑप्रेशन लांच किए। इन ऑप्रेशंस में यूक्रेन को आंशिक सफलता भी मिली।

जेलेंस्की ने रूस समर्थित पूर्व सोवियत गणराज्यों में फैलाई नफरत 

सोवियत जमाने के अधिकांश ऐसे गणराज्य जो रूस से अलग तो हो चुके थे लेकिन रूस के साथ उनकी सहानुभूति और समर्थन बरकरार है। ऐसे गणराज्य रूस से सैनिक-असैनिक मदद भी लेते हैं। यूक्रेन ने सबसे ज्यादा उन्हीं राज्यों को टारगेट किया है।

जेलेंस्की ने रूस के खिलाफ झौंक दिए खुफिया ऑप्रेशन

यूक्रेन की ओर से बहुत से खुफिया ऑप्रेशन चलाए गए लेकिन इसी साल जनवरी में यूक्रेन के ऑप्रेशन जेंटल ड्यू के बाद पुतिन के सब्र का बांध टूट गया… और पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ मिलिट्री ऑप्रेशन का ऐलान कर दिया। पुतिन के सामने मिलिट्री ऑप्रेशन का ऐलान करते समय कई संकट थे। सबसे पहला संकट सांस्कृतिक है। रूस के हर तीसरे घर में यूक्रेन के साथ पारिवारिक संबंध हैं। जिन पर युद्ध का प्रतिकूल प्रभाव पड़ना अवश्यंभावी है।

यूक्रेन में रशियन मिलिट्री ऑप्रेशन की जद में अपने भी थे, मगर मजबूरी…

पुतिन के सामने संकट था कि मिलिट्री ऑप्रेशन एक तरह से अपने भी लोगों की भावनाओं को आहत कर सकता है। पुतिन को इस संकट और यूक्रेन से जंग के दुष्परिणाम झेलने भी पड़े। लेकिन जेलेंसकी ने कोई और रास्ता छोड़ा ही नहीं था। अगर पुतिन इंतजार में समय बर्बाद करते तो रूस को इससे भी बड़ा नुकसान हो सकता था।

जेलेंस्की की छोटी सोच से पुतिन को बड़ा फायदा

हालांकि पुतिन के इस संकट को जेलेंस्की की छोटी सोच ने काफी हद तक कम भी किया। जेलेंस्की ने प्रतिक्रिया स्वरूप स्कूलों से रूसी भाषा को निकाल दिया। सोवियत काल के मशहूर व्यक्तिवों की मूर्तियों, आर्किटेक्चर को यूक्रेन में ध्वस्त कर दिया गया। रूबल अवैध घोषित कर दिया। रूस समर्थित यूक्रेनियों को निर्ममता से मारा और इल्जाम रूसी फौजों के नाम लिख दिया।

झूठी खबरें और मॉर्फ्ड वीडियो सर्कुलेट करने के लिए 80 हजार फर्जी सोशल मीडिया एकाउंट्स

खास बात यह कि रूस समर्थित यूक्रेनी कहां हैं या थे उनके बारे में अभी तक कोई जानकारी भी नहीं। यूक्रेन में पश्चिमी सूचना तंत्र हावी है। रूस या रूस समर्थित मीडिया यूक्रेन में कदम नहीं रख सकते।  जेलेंसकी के पश्चिमी दोस्तों ने जंग के दौरान यूक्रेन के 80 हजार फर्जी सोशल मीडिय एकाउंट्स क्रिएट किए। जिनका सिर्फ एक काम था कि वो रूसी नागरिकों को रूसी सैनिकों की मौत, रूसी सैनिकों बंधक बनाने और यूक्रेन में रूसी सैनिकों की बर्बरता मॉर्फ्ड वीडियो सर्कुलेट किए ताकि रूस के भीतर पुतिन के खिलाफ बगावत की आग भड़क जाए।

रूस के खिलाफ यूक्रेन के खुफिया ऑप्रेशंस

  1. ऑप्रेशन जैसलॉन
  2. ऑप्रेशन बोलोत्नाया
  3. स्म्यूता प्रोजेक्ट
  4. ऑप्रेशन स्टीप विंड
  5. ऑप्रेशन केस्पियन
  6. ऑप्रेशन मंचूरियन हिल्स
  7. दि वॉयस ऑफ रीजन और..
  8. ऑप्रेशन जेंटल ड्यू

सोशल मीडिय पर रूस के खिलाफ प्रोपेगंडा वॉर

रूस में सोशल मीडिया पर चलाए गए ऐसे प्रोपेगण्डा का असर भी हुआ। पुतिन के खिलाफ प्रदर्शन भी हुए हैं। दुनिया के कुछ तटस्थ विश्लेषकों का कहना है कि यूक्रेन-रूस जंग के लिए केवल पुतिन दोषी नहीं हैं। पुतिन को जेलेंस्की से ज्यादा नुकसान हुआ है। दुनिया भर के प्रतिबंधों का सामना भी करना पड़ रहा है। इसके बावजूद पुतिन ने जेलेंस्की की हत्या कराने या पुराने ऐतिहासिक कीव को नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं की है।

जेलेंस्की को ज्यूड्स होने का फायदा

यह बात सोलह आने सच है कि पुतिन जब चाहें तब अपने डेथ स्क्वायड को एक्टिव कर सकते हैं, और जेलेंसकी लाख सुरक्षा घेरे में रहें फिर भी उनका काम तमाम हो ही जाएगा। यह बात अलग है कि जेलेंस्की ज्यूड्स हैं, इस रिश्ते से इजराइल से खुफिया मदद दे रहा है, लेकिन पुतिन की सीक्रेट एजेंसी यूक्रेन में कहीं अधिक ताकतवर है। क्रेमलिन का डेथ स्क्वायड अभी एक्टिव नहीं हुआ है।

क्रेमलिन के डेथ स्क्वायड का खौफ

अलबत्ता यूक्रेन-पश्चिमी मीडिया और खुद जेलेंस्की ने ऐसे दावे कई बार किए हैं कि Russian Military Operation के दौरान रूस का डेथ स्क्वायड कीव में घूम रहा है। रूसी फौजों के हाथ पड़ने से जेलेंस्की बाल-बाल बचे या जेलेंस्की के सुरक्षागार्डों ने रूसी डेथ स्क्वायड के कमाण्डोज को मार गिराया। वगैरह-वगैरह।

जेलेंस्की साजिश करते रहे पुतिन ने मकसद हासिल किया

यूक्रेन ने 2015 से लेकर जंग जारी रहने तक जेलेंस्की ने रूस और पुतिन के खिलाफ हर साजिश कर ली लेकिन जेलेंस्की वो हासिल न कर सके जो वो चाहते थे।,लेकिन  Russian Military Operation के जरिए पुतिन जो चाहते था वो लगभग हासिल कर चुके हैं। क्रीमिया को जमीनी रास्ते से बाकी रूस  की मेनलैण्ड से जोड़ लिया गया है।

रूस के नियंत्रण में डोनबास और लुगांक्स

डोनबास और लुगांक्स पर रूस का नियंत्रण है। खारकीव से सेनाओं की वापसी पुतिन की रणनीति का हिस्सा है, जिसे जेलेंस्की और उनके दोस्त देश जीत बता रहे हैं। 18 सितंबर 2022 को रूसी फौजों के हमले ने यूक्रेन और उसके दोस्त देशों को बता दिया है कि पीछे हटना किस रणनीति का हिस्सा थी।

जेलेंस्की चाहते हैं जंग नाटो देशों तक फैल जाए

विश्वराजनीति पर निगाह रखने वाले विश्लेषकों का यह भी कहना है कि जेलेंस्की चाहते थे रूस के मिलिट्री ऑप्रेशन (Russian Military Operation) का एस्कलेशन हो। यह  जंग केवल यूक्रेन की जमीन तक सीमित न रहे। जंग यूरोप और नाटो के सदस्य देशों तक फैल जाए। ताकि जंग यूक्रेन बनाम रूस न होकर रूस बनाम नाटो हो जाए। जेलेंस्की ने कोशिशें तो बहुत कीं लेकिन अभी तक इस कुटिल नीति में सफलता नहीं मिली है।

जेलेंस्की Shrewd और Sadist 

कहते हैं कि कॉमेडियन सेंसिटिव होते हैं। लेकिन जेलेंस्की सेंसिटिव नहीं सेडिस्ट और श्रूड (Shrewd) और ग्रीडी यानी लालची हैं। सेंसिटिव होते तो उन्हें यूक्रेन की बर्वादी की परवाह होती, जेलेंस्की सेंसिटिव यानी संवेदनशील होते तो उन्हें अपने अंहकार की नहीं बल्कि जंग में मारे जा रहे हजारों यूक्रेनी नागरिकों की परवाह होती।

जेलेंस्की को अपनी और अपने परिवार की चिंता, यूक्रेनियन्स की नहीं 

जेलेंस्की सेंसिटिव होते तो उन्हें अपने परिवार से ज्यादा उन यूक्रेनियन परिवारों की परवाह होती जिन्होंने विस्थापन का दर्द झेला और अभी झेल रहे हैं। जेलेंस्की पश्चिमी देशों के लालच में न फंसते तो लुगांक्स और डोनबास को वास्तविक स्वायत्ता दे सकते थे। जेलेंस्की पश्चिमी देशों के इशारे पर रूस और पुतिन के खिलाफ ऑप्रेशन चलाने के बजाए साझी संस्कृति को मजबूत करते तो यूक्रेन तरक्की की राह पर चल रहा होता।

बिलियंस ऑफ डॉलर कर्ज के नीचे यूक्रेन

जेलेंस्की या वो लोग जो यह मानते हैं कि अमेरिका और अन्य देशों से मिली सैन्य सहायता यूक्रेन को खैरात में मिली है तो यह सबसे बड़ी ‘वेबकूफी’ होगी। यह सारी मदद कर्ज की शक्ल में दी गई हैं। Russian Military Operation खत्म होने के बाद यूक्रेन के सामने इस कर्ज को चुकाने की सबसे बड़ी समस्या होगी। कर्ज के बोझ तले यूक्रेन के विकास पर यूक्रेन की छाप कम पश्चिमी देशों का ठप्पा ज्यादा होगा। कुछ लोग तो यह भी कहने लगे हैं कि यूक्रेन का भला तब ही हो सकता है जब उसे जेलेंस्की से मुक्ति मिल जाए।

इसे भी पढ़ेंः जेलेंस्की ने शिकस्त कबूली, नाटो और अमेरिका पर निकाली भड़ास

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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