अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी होते ही तालिबान ने पूरे अफगान पर कब्जा कर लिया। अमेरिकी सैनिकों के निकलते ही वहां पर कई देश अंदर ही अंदर तालिबान से दोस्ती करनी शुरू कर दी यहां तक पाकिस्तान और चीन तो पहले से ही तालिबान को मदद कर रहे थे। लेकिन अब एक बड़ी खबर सामने आ रही है जिसके मुताबिक अमेरिका अफगानिस्तान में आज भी नजर गड़ाए बैठा है और पाकिस्तान में मिलिट्री बेस बनाने की कोशिश कर रहा है जहां से पूरे अफगानिस्तान पर नजर रखेगा।
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रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जिनेवा शिखर सम्मेलन में अपने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडेन से कहा है कि रूस मध्य एशियाई देशों के साथ अपने क्षेत्र में अमेरिकी सेना को तैनात करने के लिए समझौते करने के अमेरिकी प्रयासों के खिलाफ है। टोलोन्यूज की रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। समाचार चैनल ने रूसी टेलीविजन के साथ अपने साक्षात्कार का हवाला देते हुए कहा कि विदेश मंत्री ने दावा किया कि अमेरिका अफगानिस्तान के पड़ोसी देश में सैन्य ठिकाने स्थापित करने के प्रयास जारी रखे हुए है।
इसके अलावा कहा गया है कि, अमेरिका ने पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान को इसके प्रस्ताव भेजे हैं, हालांकि, देशों ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही न्यूज चैनल ने लावरोव के हवाले से कहा कि, हम अमेरिकियों की घुसपैठ से अच्छी तरह से वाकिफ हैं। मैं इस बात से इंकार नहीं करता कि वे अलग-अलग पक्षों से एक ही उद्देश्य के लिए दबाव डार रहे होंगे। मैंने सुना है कि वे भारत को पेंटागन को भारतीय क्षेत्र में कुछ अवसर देने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं।
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टोलोन्यूज ने अफगानिस्तान के राष्ट्रीय एकजुटता आंदोलन के प्रमुख सैयद इशाक गिलानी के हवाले से कहा, निश्चित रूप से, ठिकाने अल कायदा और दाएश को दबाने के लिए होंगे, लेकिन आपदा अफगानों के साथ होगी। अफगानों को इसका नुकसान होगा।