Hindi News

indianarrative

रुस ने यूक्रेन को चारों ओर से घेरा! कभी भी छिड़ सकती है जंग, जानें अमेरिका के सामने क्या रखी शर्त?

courtesy google

यूक्रेन को रूस ने चारों तरफ से घेरा हुआ है। रूस की एक लाख से ज्यादा सेना डटी हुई है। ऐसे में हमला होने की आंशका जताई जा रही है। इस बीच जिनेवा में रूस और अमेरिका के बीच चल रही वार्ता के दौरान गतिरोध कायम रहा। रूसी उप विदेश मंत्री रायबाकोव ने अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन के सामन एक शर्त रखी। रूस का कहना है कि अमेरिका यूक्रेन को सैन्य संगठन नाटो में शामिल नहीं करे। दरअसल,  रूस की नाटो सेनाओं को अपने दरवाजे से दूर रखना चाहता है। अमेरिका ने फिलहाल यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के बारे में कोई वादा नहीं किया है।

यह भी पढ़ें- Indian Railway Recruitment 2022: 10वीं और ITI पास वालों की भर्ती कर रहा रेलवे, देखें कितनी मिलेगी सैलरी 

रूसी सेनाएं यूक्रेन को पूर्वी क्षेत्र के सोलोटी और बोगुचार, जबकि उत्तरी क्षेत्र में पोचेप से घेरे हुए हैं। सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि रूस लगातार यूक्रेन की सीमा पर अपना सैन्य जमावड़ा बढ़ा रहा है। अतिरिक्त सैनिक भी तैनात हैं। ऐसे में विश्व स्तर की खबरों पर नजर रखने वाले जानकारों की मानें तो इस गतिरोध में भारत के पास पश्चिमी देशों और रूस के बीच मध्यस्थता का मौका है। अमेरिकी प्रतिबंध लगे तो रूस चीन की ओर झुक सकता है। रूस पर प्रतिबंधों से भारत को सुखोई विमान सहित अन्य सैन्य कलपुर्जे मिलने में परेशानी हो सकती है। रूस से संबंधों के हवाले से भारत गतिरोध को टालने में रोल अदा कर सकता है।

यह भी पढ़ें- 7th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों को 26 जनवरी को मिलेगा खास तोहफा, सैलरी में होगा जबरदस्त इजाफा

अगर युद्ध की स्थिति में अमेरिका रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाता है तो चीन को इसका फायदा होगा। अमेरिका ये नहीं चाहेगा। अमेरिका सीधे युद्ध में भी शामिल नहीं होना चाहता है। कभी पूर्वी यूक्रेन पुतिन समर्थक हुआ करता था। 2014 में रूस के क्रीमिया पर हमले के बाद से स्थिति बदली है। यूक्रेन की जनता अब रूस विरोधी सरकारों को चुनती आई है। प्रतिबंधों की स्थिति में रूस पलटवार के रूप में यूरोप को गैस सप्लाई रोक सकता है। इससे अमेरिका के सहयोगी यूरोपीय देश प्रभावित होंगे। यूरोप को 40% गैस सप्लाई रूस ही करता है।