S Jaishankar On Pakistan Terrorism: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान (S Jaishankar On Pakistan Terrorism) का बिना नाम लिये ही जमकर धो दिया। उन्होंने कहा कि, सीमा पार से होने वाले आतंकवाद को किसी एक क्षेत्र के अंदर सीमित नहीं किया जा सकता, खासतौर पर जब वह मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी और अंतरराष्ट्रीय अपराधों के अन्य स्वरूपों से गहराई से जुड़ा हुई है। उन्होंने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा, ‘चूंकि (आतंकवाद का) (S Jaishankar On Pakistan Terrorism) का केंद्र भारत के इतना करीब स्थित है कि स्वाभाविक रूप से हमारे अनुभव और अंतर्दृष्टि अन्य के लिए उपयोगी है।
आतंकवाद का केंद्र भारत के करीब स्थिति है
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऑस्ट्रिया के विदेश मंत्री अलेक्जेंडर शैलेनबर्ग के साथ संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिति पर उनके बीच खुली और सार्थक चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि बहुत हद तक दोनों देशों के रुख समान हैं, ‘हालांकि हम अलग-अलग क्षेत्रों में स्थित हैं और हमारी कुछ बाध्यताएं हैं।’ इसके आगे उन्होंने बताया कि, दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के कारण शांति और सुरक्षा के लिए होने वाले खतरों पर बातचीत हुई। इसमें हिंसक चरमपंथ और कट्टरपंथ द्वारा सीमा पार से होने वाला आतंकवाद भी शामिल है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के प्रभावों को एक क्षेत्र में सीमित नहीं किया जा सकता, खास तौर पर जब वे मादक पदार्थों और अवैध हथियारों की तस्करी तथा अंतरराष्ट्रीय अपराधों के अन्य स्वरूपों से गहराई से जुड़े हुए हैं। इसके आगे उन्होंने पाकिस्तान का बिना नाम लिये ही जमकर क्लास लगा दी। उन्होंने कहा कि, चूंकि (आतंकवाद का) का केंद्र भारत के इतना करीब स्थित है कि स्वाभाविक रूप से हमारे अनुभव और अंतर्दृष्टि अन्य के लिए उपयोगी है।
रूस-यूक्रेन को लेकर भारत शांति के पक्ष में है
इसके साथ ही उन्होंने यूक्रेन में जारी संघर्ष पर भी चितां जताई। जयशंकर बोले भारत शांति के पक्ष में है। युद्ध की शुरुआत से ही नई दिल्ली की कोशिश यही रही है कि मॉस्को तथा कीव कूटनीति और संवाद के माध्यमों की ओर लौटें क्योंकि मतभेदों को हिंसा से नहीं सुलझाया जा सकता। जयशंकर ने कहा, यह (यूक्रेन) संघर्ष वास्तव में अत्यंत गहरी चिंता का विषय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर में घोषणा की कि हम वास्तव में मानते हैं कि यह युद्ध का युग नहीं है। आप हिंसा के माध्यम से मतभेदों और मुद्दों को नहीं सुलझा सकते। इस तरह शुरू से ही, हमारा प्रयास (रूस और यूक्रेन से) संवाद और कूटनीति पर लौटने का आग्रह करना रहा है।
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