भारत विश्व का सबसे बड़ा हथियारों का आयातक है। इसके हथियार पारंपरिक रूप से अब भी अधिकतर रूसी (Putin) प्रौद्योगिकी पर निर्भर हैं। रूस के साथ भारत का रक्षा सौदा अधर में लटक सकता है। इसमें एस-400 सबसे प्रमुख है। यूक्रेन युद्ध के कारण पहले ही इसके डिलीवरी में देरी हो चुकी है और अभी तक इसे लेकर कोई स्पष्टता सामने नहीं आई है। इस देरी के पीछे सबसे बड़ा कारण भुगतान से जुड़ा संकट है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्तमान में 3 अरब डॉलर का भुगतान रुका हुआ है और केंद्रीय बैंक इसे हल करने के लिए काम कर रहे हैं। 2018 में एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम से जुड़ी डील 5.43 अरब डॉलर में हुई थी।
रूस के पास ज्यादा भारती रुपया हो जाने से यह संकट हल नहीं हो पा रहा है
भारत ने रूस (Putin) से पांच रेजिमेंटों को लिया था, जिनमें से तीन की डिलीवरी हो चुकी है। लेकिन अन्य दो में लगातार देरी हो रही है। हालांकि दोनों पक्ष रुपया-रूबल व्यवस्था के जरिए भुगतान की कोशिश में लगे हैं। लेकिन भारी व्यापार अंसुतलन और रूस के पास ज्यादा भारती रुपया हो जाने से यह संकट हल नहीं हो पा रहा है। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों ने कहा, ‘भुगतार में जब स्पष्टता हो जाएगी तभी संशोधित डिलीवरी के शेड्यूल पर काम किया जा सकता है।’
पेमेंट के कारण हो रही देरी
यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ रूस के डायरेक्टर जनरल एलेक्सी राखमनोव ने हाल ही में कहा था कि रूस में भारतीय नौसेना के लिए निर्माणाधीन दो तलवार क्लास स्टील्थ फ्रिगेट की डिलीवरी में और देरी हो रही है। इसके मई और अक्टूबर 2024 तक डिलीवरी की उम्मीद है। उन्होंने इस देरी के पीछे पेमेंट को एक बड़ा कारण माना। फरवरी में रूस को वैश्विक स्विफ्ट सिस्टम से बाहर कर दिया गया। लेकिन भारत और रूस ने आपसी व्यापार के लिए रुपया-रूबल का मार्ग चुना।
यह भी पढ़ें: Russia का बड़ा बयान! भारत एक महाशक्ति है, हमारी दोस्ती दुनिया में मिसाल
छोटे-छोटे पेमेंट अभी भी रुपया और रूबल के जरिए हो रहा है। लेकिन सभी बड़े पेमेंट होल्ड पर हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भुगतान रुकने के बावजूद कुछ डिलीवरी की गई है लेकिन अब आगे का रास्ता निकालना होगा। इसके अलावा प्रतिबंधों को लेकर कंपनियों और व्यापारियों के बीच आशंका है, जो व्यापार को बढ़ने से रोक रहा है। सूत्रों ने कहा कि इन आशंकाओं को दूर करने की जरूरत है। यूक्रेन युद्ध के कारण यह समस्या और भी बढ़ रही है।