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US के पास OPEC प्लस की काट,महज एक दांव से सऊदी अरब को घुटनो पर ला देंगे Biden,जाने कैसे

ओपेक प्लस देशों ने तेल के उत्पादन में कटौती की है

अभी कुछ महीनों पहले ही सऊदी अरब से एक तस्वीर देखने को मिली थी। इस तस्वीर में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और सऊदी प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान (Mohammed bin Salman Al Saud) दोस्ताना अंदाज में एक-दूसरे से मिल रहे थे। पर अब आलम यह है कि दोनों देशों के बीच रिश्तों पर बड़े बदलाव के बादल मंडरा रहे हैं। ओपेक प्लस समूह, जिसमें सऊदी अरब और रूस शामिल हैं, की हालिया बैठक में फैसला लिया गया कि तेल का उत्पादन 20 लाख बैरल प्रतिदिन कम किया जाएगा।

बताया जा रहा है इससे न सिर्फ तेल बल्कि गैस की कीमतों में उछाल आएगा और रूस को इससे बड़ा फायदा होगा। पश्चिमी मीडिया का दावा है कि इस फैसले से तीन चीजें होंगी, वैश्विक महंगाई दर में इजाफा होगा, गैस की कीमतों को कम करने के अमेरिकी प्रयासों को धक्का लगेगा और यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस में बड़ी मदद मिलेगी। लेकिन अपने सिर्फ एक दांव से बाइडन सऊदी अरब को घुटनों पर ला सकते हैं।

ओपेक प्लस के फैसले के बाद अमेरिका में सऊदी अरब को लेकर गुस्सा साफ देखा जा सकता है। अमेरिकी कांग्रेस के कुछ सदस्य मांग कर रहे हैं कि खाड़ी देश को होने वाली हथियारों की सप्लाई को तत्काल रोक देना चाहिए। अमेरिका और सऊदी अरब के बीच संबंध दो चीजों पर टिके हैं, तेल और सुरक्षा। अमेरिका सऊदी अरब को क्षेत्र में उसके दुश्मनों के खिलाफ सुरक्षा मुहैया कराता है और बदले में सऊदी एक महत्वपूर्ण आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए तेल का उत्पादन बढ़ाता है।

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सऊदी अरब से नाराज अमेरिकी सांसद

सऊदी अरब यमन में ईरान के साथ एक छद्म युद्ध में फंसा हुआ है और न्यूक्लियर डील को पुनर्जीवित करने के लिए होने वाली बातचीत से परेशान है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि ओपेक प्लस की बैठक में इस मुद्दे को लेकर चर्चा हुई या नहीं। समूह के फैसले डेमोक्रेट सीनेटर बॉब मेनेंडेज़ नाराज हैं। उनके सहयोगी रिचर्ड ब्लूमेंथल और रो खन्ना भी उनका समर्थन कर रहे हैं। गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार मेनेंडेज़ ने कहा कि मैं रियाद के साथ किसी भी तरह के सहयोग का समर्थन नहीं करता हूं, जब तक खाड़ी देश यूक्रेन युद्ध को लेकर अपनी स्थिति का पुनर्मूल्यांकन नहीं करता। बस, अब बहुत हो गया।

अमेरिकी हथियारों पर निर्भर सऊदी अरब

मौजूदा समय में सऊदी अरब अमेरिकी रक्षा सहायता पर बेहद अधिक निर्भर है और अपने ज्यादातर हथियार वॉशिंगटन से खरीद रहा है। सऊदी अरब के सामने यमन में हूती विद्रोही एक बड़ी चुनौती हैं जिनका ईरान समर्थन करता है। इन विद्रोहियों से खाड़ी देशों का गठबंधन लोहा ले रहा है जिसका नेतृत्व सऊदी अरब कर रहा है और संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, कतर, बहरीन इत्यादि देश इसमें शामिल हैं। हूती विद्रोहियों से लड़ाई में अमेरिकी हथियार सऊदी अरब के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं लेकिन अगर बाइडन इनकी सप्लाई रोक देते हैं तो क्षेत्र में अरब जगत के ‘मुखिया’ की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।