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सरकार गिरते ही खुलने लगी पोल, सऊदी प्रिंस ने बीच रास्ते से इमरान खान को विमान से उतार कर कहा था, पैदल जाओ

सऊदी प्रिंस ने बीच रास्ते से इमरान खान को विमान से उतार कर कहा था, पैदल जाओ

पिछले कुछ समय से पाकिस्तान की राजनीति में जमकर नौटकी चली। इरमान खान को इस्तीफा देने के लिए विपक्ष और सेना ने पूरी कोशिश की और अंत में वो सफल भी हो गए। इससे पहले हाल ही में होने वाले अविश्वास प्रस्ताव को डिप्टी सीएम ने खारिज करते हुए संसद को भंग कर दिया था। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए मुह लगा दी। जिसमें इमरान खान की सरकार गिर गई। सरकार गिरते ही इमरान खान पर विपक्ष शिकंजा कसते नजर आ रहा है। क्योंकि, नई सरकार ने सभी इंटरनेशनल एयरपोर्ट को हाई अलर्ट पर रखा है कि इमरान खान के मंत्री देश छोड़कर भागने न पाएं। इस बीच इमरान खान की एक बार फिर से घनघोर बेइज्जती हुई है और ये बेइज्जती करने वाली सऊदी प्रिंस हैं।

पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री के पूर्व प्रवक्‍ता ने खुलासा किया है कि तुर्की और मलेशिया के साथ दोस्‍ती बढ़ा रहे इमरान खान की सऊदी अरब ने घनघोर बेइज्‍जती की थी। इमरान खान के प्रवक्‍ता रहे नदीम अफजल चान ने बताया कि सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्‍मद बिन सलमान ने पाकिस्‍तानी पीएम को अमेरिका दौरे के दौरान दिया प्‍लेन टोरंटो से वापस बुला लिया था और इमरान खान 'पैदल' हो गए थे।

नदीम अफजल ने बताया कि जब सऊदी अरब के प्रिंस को ज‍ब इमरान खान के तुर्की के राष्‍ट्रपति एर्दोगान और मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्‍मद के साथ मिलकर एक नया चैनल बनाने की योजना का पता चला तो उन्‍होंने अपने प्राइवेट विमान को वापस बुला लिया था। जिसके बाद खान को एक व्यवसायिक विमान से मुल्क वापस आना पड़ा। इमरान खान संयुक्त राष्ट्र आम सभा के 74वें सत्र को संबोधित करने के लिए न्यूयॉर्क गए हुए थे। इस यात्रा से पहले वो रियाद गए थे और वहां उन्होंने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान संग बैठक की थी।

इमरान खान के विमान को तकनीकी गड़बड़ी का हवाला दिया गया था। लेकिन नदीम ने कहा कि, हकीकत यह थी कि विमान न्यूयॉर्क से वापस इस्लामाबाद लौट रहा था और बीच रास्ते में ही टोरंटों में इमरान खान को सऊदी प्रिंस ने अपने आलीशान विमान से उतार दिया था। ये मामला यहीं नहीं खत्म होता, क्वालालंपुर में बैठक को भी सऊदी अरब के दबाव में पाकिस्तान को रद्द करना पड़ा था, जबकि उसे इमरान खान के कहने पर ही आयोजित किया गया था।

दरअसल, सऊदी प्रिंस को यह रास नहीं आया कि उनके टुकड़ों पर पलने वाला पाकिस्तान तुर्की और मलेशिया के साथ मिलकर इस्लामिक मुद्दों को उठाए। वह भी तब जब सऊदी अरब खुद को मुस्लिमों का लिडर मानाता है।